रूसी सेना कुर्स्क छीनने के करीब पहुंची, यूक्रेनी सैनिकों के पकड़े जाने और मारे जाने का जोखिम

यूक्रेन ने बीते वर्ष अगस्त में कुर्स्क में एक साहसिक क्रॉस बॉर्डर से घुसपैठ की थी. यहां पर बड़े क्षेत्र पर अपना जमाया था. अब रूस इस क्षेत्र पर दोबारा से कब्जा बनाने की कोशिश में जुटा हुआ है.

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Mohit Saxena
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russia ukrain war Photograph: (social media)

बीते ​तीन सालों से यूक्रेन और अमेरिका के बीच युद्ध जारी है. यह युद्ध 24 फरवरी 2022 को शुरू हुआ था. इस जंग को रोकने का प्रयास लगातार चल रहा है. लेकिन रूसी सेना यूक्रेन के खास शहरों पर कब्जा बनाने की कोशिश कर रही है. रूस अब उन सीमावर्ती इलाकों पर कब्जा करना चाहता है, जहां पर कीव ने चौंकाने वाले हमले किए थे. यूक्रेन ने बीते वर्ष अगस्त में कुर्स्क में एक साहसिक क्रॉस बॉर्डर से घुसपैठ की. वहीं दूसरे विश्व युद्ध के बाद से रूसी क्षेत्र पर बड़ा हमला था. इस दौरान यूक्रेनी यूनिट्स ने 1,000 वर्ग किलोमीटर (386 वर्ग मील) क्षेत्र पर कब्जा जमाया था. इस दौरान रणनीतिक सीमावर्ती शहर सुदजा भी शामिल था. हमले के दौरान सैकड़ों रूसी युद्ध बंदियों को भी छुड़ाया था.

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पाइपलाइन के भीतर तक पहुंचा रूस  

रूस का प्लान है कि कुर्स्क को दोबारा यूक्रेन से छीनना है. इसके लिए भारी मात्रा में रूसी सैनिक यहां पर पहुंच रहे हैं. कुर्स्क में 50 हजार से ज्यादा सैनिकों के लगातार हमले हो रहे हैं. यूक्रेन यहां पर कमजोर पड़ता जा रहा है. यहां पर रूस के सहयोगी उत्तर कोरिया के कुछ सैनिक भी हैं. यहां पर मौजूद हजारों यूक्रेनी सैनिकों के घेरे जाने का जोखिम बना हुआ है. 

कुर्स्क में यूक्रेन की स्थिति बहुत खराब

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सामने आया है कि बीते तीन दिनों में कुर्स्क में यूक्रेन की स्थिति अच्छी नहीं है. रूसी सेना ने एक जवाबी हमले के तहत कुर्स्क क्षेत्र के एक बड़े इलाके पर फिर से कब्जा कर लिया है. इसने यूक्रेनी सेना को करीब दो भागों में काटा है. इससे यूक्रेनी सैनिकों का संपर्क पूरी तरह से कट गया है.

यूक्रेन के समर्थन में नहीं अमेरिका 

यूक्रेन के राष्ट्रपति वलादिमीर जेलेंस्की और अमेरिकी राष्ट्रप​ति डोनाल्ड ट्रंप के बीच बीते दिनों तीखी बहस देखने को मिली थी. इसके बाद से अमेरिका ने यूक्रेन से खुफिया जानकारी साझा करना बंद कर दिया है. इस बात की संभावना है कि यूक्रेनी सेना को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है. उसके पास रसद के साथ जानकारी का आभाव बना हुआ है. इसका लाभ रूस उठा रहा है. सैनिकों को पकड़े जाने और मारे जाने का जोखिम उठना पड़ रहा है. 

 

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