यूक्रेन ने रूस के तुआप्से ऑयल टर्मिनल पर अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला किया, जिससे बंदरगाह पर भीषण आग लग गई. इस हमले में तेल रिफाइनरी और टर्मिनल को भारी नुकसान हुआ.
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध एक बार फिर खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है. शनिवार (1 नवंबर) रात यूक्रेन ने रूस के तुआप्से पोर्ट पर अब तक के सबसे बड़े ड्रोन हमलों में से एक किया. यह बंदरगाह रूस के काला सागर तट पर स्थित है और देश के मुख्य तेल टर्मिनलों में से एक माना जाता है. हमले के बाद पोर्ट पर भीषण आग लग गई, जिससे तेल टर्मिनल और रिफाइनरी को भारी नुकसान हुआ.
रूस का दावा- 164 ड्रोन किए गए नष्ट
रूसी प्रशासन ने दावा किया है कि उनकी एयर डिफेंस यूनिट ने 164 यूक्रेनी ड्रोन को हवा में ही नष्ट कर दिया. हालांकि, कुछ ड्रोन तुआप्से पोर्ट तक पहुंचने में कामयाब रहे और वहां धमाकों के बाद आग फैल गई. रूसी मीडिया के मुताबिक, इस हमले का मकसद रूस की सैन्य आपूर्ति और ऊर्जा व्यवस्था को बाधित करना था. प्रशासन ने बताया कि स्थिति नियंत्रण में है और अब तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं मिली है.
A better view on the burning oil terminal in the Russian port of Tuapse that was hit by the Ukrainians tonight. https://t.co/A7QklnAI0Dpic.twitter.com/GSFyjIk92r
— Status-6 (Military & Conflict News) (@Archer83Able) November 1, 2025
आग और विस्फोट से मचा हड़कंप
हमले के बाद तुआप्से पोर्ट के कई हिस्सों में तेल रिसाव और पाइपलाइन फटने की घटनाएं हुईं. आसमान में जोरदार विस्फोटों की चमक दिखाई दी, जिससे समुद्र किनारे रहने वाले लोग दहशत में आ गए. रात में काम कर रहे मजदूर अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे. तेल और धातु की गंध से हवा भर गई थी. फायर ब्रिगेड की कई गाड़ियां मौके पर पहुंचीं, लेकिन आग पर काबू पाने में काफी समय लगा.
प्रशासन ने घोषित किया आपातकाल
स्थानीय अधिकारियों ने तुरंत आपातकाल घोषित किया. तुआप्से और आसपास के गांवों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. गिरते हुए ड्रोन के मलबे से कई इमारतों को भी नुकसान पहुंचा, लेकिन किसी के घायल होने की खबर नहीं है.
यूक्रेन की नई रणनीति
विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला रूस के बिजली ग्रिड और रिफाइनरी पर हुए रूसी हमलों के जवाब में किया गया है. यूक्रेन अब रूस की आर्थिक और सैन्य ताकत को कमजोर करने की नई रणनीति पर काम कर रहा है. इन ड्रोन हमलों का उद्देश्य रूस की ईंधन आपूर्ति और सप्लाई चेन को तोड़ना है ताकि युद्ध का खर्च बढ़े और उसकी अर्थव्यवस्था पर दबाव बने.
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