भारत के रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 26 जून को चीन के क्विंगदाओ में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक के इतर रूस के रक्षा मंत्री श्री आंद्रे बेलोउसॉव से द्विपक्षीय वार्ता की. यह बैठक दोनों देशों के रक्षा संबंधों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है, विशेषकर 'ऑपरेशन सिंदूर' की पृष्ठभूमि में जब भारत रक्षा उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला को तेज़ी से मजबूत कर रहा है.
बैठक में दोनों मंत्रियों ने वर्तमान वैश्विक भू-राजनीतिक परिस्थितियों, सीमा पार आतंकवाद और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर व्यापक चर्चा की. रूसी रक्षा मंत्री ने भारत-रूस के दीर्घकालिक और भरोसेमंद संबंधों को रेखांकित करते हुए जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले को "कायरतापूर्ण और जघन्य" बताया और भारत के प्रति एकजुटता व्यक्त की.
इस द्विपक्षीय बैठक के प्रमुख बिंदु निम्न रहे
- भारत को S-400 वायु रक्षा प्रणाली की आपूर्ति पर तेज़ी से कार्यान्वयन
- Su-30 MKI लड़ाकू विमानों के लिए आधुनिक अपग्रेड
- वायु रक्षा, एयर-टू-एयर मिसाइल, और मॉडर्न एयर प्लेटफॉर्म्स जैसे क्रिटिकल मिलिट्री हार्डवेयर की त्वरित खरीद
- दोनों देशों के बीच साझा रक्षा उत्पादन को और बढ़ावा देना
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत की रक्षा आवश्यकताओं पर प्रकाश डालते हुए इस बात पर बल दिया कि सहयोग को केवल आयात-निर्यात तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि स्वदेशी निर्माण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की दिशा में भी आगे बढ़ना चाहिए.
यह बैठक ऐसे समय पर हुई है जब भारत आतंकवाद के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाए हुए है और अपनी रक्षा क्षमताओं को तीव्र गति से सशक्त कर रहा है. भारत और रूस के बीच यह रक्षा वार्ता एशियाई क्षेत्र में सामरिक संतुलन और स्थायित्व के लिहाज से भी अहम मानी जा रही है.