Rabindranath Tagore Birth Anniversary: भारत के महान कवि, साहित्यकार और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की 164वीं जयंती का रविवार (1 जून) को भारतीय वाणिज्य दूतावास शंघाई स्थित विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र में आयोजन किया गया. इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में भारतीय समुदाय, भारत-प्रेमी चीनी नागरिकों, टैगोर साहित्य और कला के अनुयायियों, तथा चीन के छात्रों सहित 100 से अधिक अतिथियों ने भाग लिया.
आतंकवाद के खिलाफ संकल्प के साथ शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत महावाणिज्य दूत श्री प्रतीक माथुर द्वारा जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित कर की गई. उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत की ज़ीरो टॉलरेंस नीति और दृढ़ संकल्प को दोहराया.
टैगोर की वैश्विक सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश
श्री माथुर ने अपने स्वागत भाषण में गुरुदेव टैगोर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका प्रभाव न केवल भारत में, बल्कि विश्व स्तर पर भी गहराई से अनुभव किया जाता है. उन्होंने बताया कि गुरुदेव टैगोर की कहानियाँ आज भी चीनी स्कूलों में पढ़ाई जाती हैं, और उनके उपन्यास तथा रवींद्र संगीत चीन के कई विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं.
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टैगोर और शंघाई का विशेष संबंध
महावाणिज्य दूत ने यह भी उल्लेख किया कि टैगोर का शंघाई शहर से विशेष लगाव था. नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने के बाद उन्होंने दो बार शंघाई का दौरा किया. आज भी शंघाई के प्रसिद्ध लू शुन पार्क और माओमिंग लु जैसे स्थलों पर उनकी प्रतिमाएं इस सांस्कृतिक संबंध की गवाही देती हैं.
टैगोर पर विद्वतापूर्ण व्याख्यान और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
कार्यक्रम के अगले चरण में टैगोर विशेषज्ञ और विदुषी श्रीमती टीना कनगरत्नम ने पूर्वी एशिया में गुरुदेव की विरासत पर एक ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया. इसके पश्चात शंघाई अड्डा के तत्वावधान में भारतीय समुदाय द्वारा रवींद्र संगीत और रंगारंग नृत्य प्रस्तुतियाँ दी गईं.
शास्त्रीय संगीत और योग के माध्यम से टैगोर को श्रद्धांजलि
कार्यक्रम में भारतीय युवाओं द्वारा सितार और तबले पर रवींद्र संगीत की शास्त्रीय प्रस्तुति भी दी गई. समापन के अवसर पर 'युवा मस्तिष्क के लिए योग' विषय पर आधारित विशेष योग प्रदर्शन प्रस्तुत किया गया, जो रवींद्र संगीत पर आधारित था. इसके बाद हल्के बंगाली व्यंजनों से अतिथियों का स्वागत किया गया.
सहभागिता और समरसता का सुंदर दृश्य
इस आयोजन में भारतीय समुदाय के सदस्यों, चीन में भारत के मित्रों, सांस्कृतिक हस्तियों, शोधकर्ताओं और बच्चों ने पूरे उत्साह के साथ भाग लिया, जो भारत-चीन के बीच सांस्कृतिक संवाद और मित्रता को और भी गहराई प्रदान करता है.
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