प्रधानमंत्री मोदी की कनाडा यात्रा और G7 शिखर सम्मेलन: भारत-कनाडा संबंधों में नया अध्याय

भारत और कनाडा के बीच संबंधों की नींव मजबूत जनसंपर्क, व्यापार और निवेश, शिक्षा, विज्ञान एवं तकनीकी सहयोग पर आधारित है. प्रधानमंत्री कार्नी के मार्च 2025 में कार्यभार संभालने के बाद से दोनों देशों के नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच संवाद बढ़ा है.

भारत और कनाडा के बीच संबंधों की नींव मजबूत जनसंपर्क, व्यापार और निवेश, शिक्षा, विज्ञान एवं तकनीकी सहयोग पर आधारित है. प्रधानमंत्री कार्नी के मार्च 2025 में कार्यभार संभालने के बाद से दोनों देशों के नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच संवाद बढ़ा है.

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Madhurendra Kumar
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PM Modi's visit to Canada and G7 Summit

PM Modi's visit to Canada and G7 Summit Photograph: (Social Media)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 जून से तीन देशों की यात्रा पर जा रहे हैं जिसमें उनकी कनाडा यात्रा सबसे महत्वपूर्ण है. यह यात्रा प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के निमंत्रण पर हो रही है और इसका मुख्य उद्देश्य कनानास्किस में आयोजित हो रहे G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेना है. यह पीएम मोदी की एक दशक बाद कनाडा की पहली यात्रा है. 2015 में उनकी पिछली यात्रा के दौरान भारत-कनाडा संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में बदला गया था. कनाडा में जस्टिन ट्रुडो के शासन के दौरान दोनों देशों के बीच संबंध पटरी से उतर चुके थे जिसे फिर से सेटल करने में पीएम कार्नी की पहल का भारत ने स्वागत किया है. आइए अब दोनों देशों के बीच संबंधों के आयाम को समझने की कोशिश करते हैं.

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भारत-कनाडा संबंध: बहुआयामी सहयोग

भारत और कनाडा के बीच संबंधों की नींव मजबूत जनसंपर्क, व्यापार और निवेश, शिक्षा, विज्ञान एवं तकनीकी सहयोग पर आधारित है. प्रधानमंत्री कार्नी के मार्च 2025 में कार्यभार संभालने के बाद से दोनों देशों के नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच संवाद बढ़ा है.

व्यापार और निवेश

2024 में भारत-कनाडा द्विपक्षीय वस्तु व्यापार 8.6 अरब अमेरिकी डॉलर रहा. भारत से निर्यात 4.2 अरब डॉलर और आयात 4.4 अरब डॉलर रहा. सेवाओं का द्विपक्षीय व्यापार 14.3 अरब डॉलर था, जिसमें भारत से निर्यात 2.5 अरब डॉलर और आयात 11.8 अरब डॉलर रहा.
कनाडाई पेंशन फंड भारत में अब तक 75 अरब डॉलर से अधिक निवेश कर चुके हैं. मई 2023 में ओटावा में छठी व्यापार एवं निवेश मंत्रीस्तरीय बैठक आयोजित की गई थी. अब तक प्रारंभिक व्यापार समझौते (EPTA) के 10 दौर हो चुके हैं.

परमाणु ऊर्जा में सहयोग

कनाडा ने भारत की परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) में सदस्यता का समर्थन किया है. 2010 में परमाणु सहयोग समझौता (NCA) हुआ और 2015 में Cameco कंपनी से यूरेनियम आपूर्ति के लिए 350 मिलियन डॉलर का अनुबंध किया गया.
2018 में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार पर भी सहयोग समझौता हुआ था.

शिक्षा में भागीदारी

कनाडा में भारतीय छात्र सबसे बड़ी संख्या में हैं (2022 में 41%). हालांकि, हाल के आव्रजन प्रतिबंधों से 2025 की पहली तिमाही में भारतीय छात्रों के वीजा में 31 प्रतिशत गिरावट आई है. प्रधानमंत्री कार्नी ने कहा है कि 2027 तक अस्थायी निवासियों की संख्या कुल जनसंख्या का 5% से अधिक नहीं होगी. भारत की नई शिक्षा नीति के तहत कनाडा की शीर्ष विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस खोलने की अनुमति है. उच्च शिक्षा सहयोग पर एमओयू 2010 में हुआ था जिसे 2018 में नवीनीकृत किया गया.

विज्ञान, अंतरिक्ष और पर्यावरण सहयोग

  • ISRO और कनाडा की स्पेस एजेंसी के बीच अंतरिक्ष मिशनों और सैटेलाइट प्रक्षेपण में सहयोग है.
  • IC-IMPACTS केंद्र के माध्यम से जल, स्वास्थ्य और स्वच्छता जैसे क्षेत्रों में 70 से अधिक शोध परियोजनाएं हुईं.
  • आर्कटिक अनुसंधान के लिए भारत और कनाडा के बीच 2020 में समझौता हुआ था.
  • पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर सहयोग के लिए 2022 में समझौता हुआ.

सांस्कृतिक और प्रवासी संबंध

कनाडा में 18 लाख से अधिक भारतीय मूल के नागरिक हैं, जिनमें सिख समुदाय की संख्या लगभग 7.7 लाख है. प्रवासी भारतीय विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हैं – छात्र, कुशल पेशेवर, अस्थायी कर्मचारी आदि. भारतीय संस्कृति कनाडा में व्यापक रूप से प्रचलित है. भारतीय फिल्म महोत्सव, साहित्यिक समारोह और भाषाई शिक्षा कार्यक्रमों के ज़रिए जुड़ाव और गहरा हुआ है. 22 भारतीय मूल के सांसद वर्तमान में कनाडा की संसद का हिस्सा हैं.

संस्थागत सहयोग और संवाद

दूसरी भारत-कनाडा कांसुलर वार्ता नवंबर 2022 में नई दिल्ली में हुई थी जिसमें छात्र सुरक्षा, विवाह विवाद, महिलाओं की सुरक्षा, शरणार्थी मुद्दे और दूतावास सेवाओं पर चर्चा हुई. भारत और कनाडा के बीच प्रत्यर्पण और विधिक सहयोग की संधियाँ पहले से लागू हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा केवल G7 में भागीदारी नहीं बल्कि भारत-कनाडा संबंधों को व्यापकता देने का अवसर भी है. व्यापार, शिक्षा, तकनीक, रक्षा और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में यह यात्रा संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का माध्यम बन सकती है.

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