BIMSTEK Summit 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए थाईलैंड की यात्रा पर हैं. इस बार थाईलैंड इस सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका और थाईलैंड के राष्ट्राध्यक्ष बैंकॉक में पहुंचे हैं. बिम्सटेक की स्थापना साल 1997 में की गई थी. हालांकि, इस संगठन को असली गति साल 2016 में तब मिली जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका नेतृत्व किया.
पीएम मोदी के नेतृत्व में मिली बिम्सटेक को गति
दरअसल, साल 2016 में पीएम मोदी गोवा में आयोजित हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान ‘लीडर्स रिट्रीट’ के लिए बिम्सटेक देशों को आमंत्रित करने की विशेष पहल की. इसके बाद पीएम मोदी ने बिम्सटेक को मजबूत करने और इसके जरिए बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग पर व्यक्तिगत और विशेष ध्यान दिया. यही नहीं पीएम मोदी 2019 में जब दूसरी बार प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में बिम्सटेक नेताओं को आमंत्रित किया.
पीएम मोदी के विजन और नीतियों से आई गतिशीलता
बता दें कि बिम्सटेक अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए भारत के नेतृत्व पर निर्भर करता है. जिसमें पीएम मोदी के पड़ोसी प्रथम नीति, एक्ट ईस्ट नीति, महासागर विजन और हिन्द-प्रशांत के लिए विजन ने इस समूह को अतिरिक्त गतिशीलता प्रदान की है. पीएम मोदी की इन नीतियों के चलते न सिर्फ सदस्य देशों के बीच तालमेल बना है बल्कि उन्हें इससे लाभ भी मिला है.
बिम्सटेक को मिला एक मजबूत संस्थागत का आधार
बिम्सटेक का सचिवालय कुछ समय पहले ही स्थापित किया गया, लेकिन इस समूह को वास्तविक गति, मई 2024 में तब मिली जब इसके चार्टर को अपनाया गया. जिससे इस समूह को एक अंतरराष्ट्रीय दर्जा प्रदान किया. इस चार्टर के मार्गदर्शक सिद्धांतों और बुनियादी संस्थागत प्रारूप को स्थापित करने में मदद की. इस समूह के महासचिव के रूप में भारत ने इंद्र मणि पांडे को नियुक्त किया.
भारत ने इस समूह के संस्था और क्षमता निर्माण पर ध्यान दिया है. जिसके उद्देश्य को पूरा करने के लिए बिम्सटेक सचिवालय को 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर दिए हैं. जुलाई 2024 में भारत ने बिम्सटेक विदेश मंत्रियों की बैठक की मेज़बानी की. उसके बाद सितंबर 2024 में भी भारत ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान बिम्सटेक विदेश मंत्रियों की एक अनौपचारिक बैठक बुलाई.
बिम्सटेक एजेंडे का विस्तार
यही नहीं भारत के नेतृत्व और निर्देश की वजह से ही बिम्सटेक एजेंडे का कई गुना विस्तार हुआ है. बिम्सटेक का कार्यक्षेत्र सात खंडों में बंटा हुआ है. समूह में शामिल प्रत्येक देश एक कार्यक्षेत्र का नेतृत्व करता है. इसमें भारत के पास सुरक्षा क्षेत्र, बांग्लादेश के पास व्यापार, निवेश और विकास, भूटान के पास पर्यावरण और जलवायु, म्यांमार के पास कृषि और खाद्य सुरक्षा, नेपाल के पास जन-जन के बीच संपर्क, श्रीलंका के पास विज्ञान-प्रौद्योगिकी और नवाचार जबकि थाईलैंड के पास कनेक्टिविटी की जिम्मेदारी है.
बिम्सटेक को लेकर क्या है भारत का फोकस?
बिम्सटेक को लेकर भारत का फोकस व्यापक विश्व कल्याण के लिए क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देना है. भारत ने सुरक्षा क्षेत्र में आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद और अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिए मजबूत कानूनी ढांचा विकसित करने पर काम कर रहा है. इसके साथ ही भारत ने कनेक्टिविटी के अलावा भौतिक, डिजिटल और ऊर्जा के क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने पर विशेष जोर दिया है. वहीं भारत, बेंगलुरु में बिम्सटेक ऊर्जा केंद्र की मेजबानी करता है. इसके साथ ही मोदी सरकार बिम्सटेक क्षेत्रीय ग्रिड इंटर-कनेक्शन बनाने की दिशा में तालमेल करती है. जो प्रधानमंत्री मोदी के 'एक विश्व, एक सूर्य, एक ग्रिड' विजन का अनुसरण करती है.
इन क्षेत्रों में सक्रिय है बिम्सटेक
भारत के नेतृत्व के चलते बिम्सटेक लोगों के बीच आपसी संबंधों और क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा दे रहा है. पीएम मोदी ने युवाओं को जोड़ने, संस्कृति को बढ़ावा देने और पर्यावरण की रक्षा को उच्च प्राथमिकता दी है. बिम्सटेक में इन सभी पहलुओं पर लगातार ध्यान दे रहा है.
बैंकॉक में बिम्सटेक सम्मेलन
इस बार थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन हो रहा है. 2016 में गोवा में हुए बिम्सटेक सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी द्वारा दिए निर्देश इस समूह के एजेंडे को लगातार आकार दे रहे हैं. जिसकी झलक अब बैंकॉक में भी देखने को मिल रही है. जिसमें पहला बिम्सटेक विजन 2030 को अपनाना और दूसरा बिम्सटेक विशिष्ट व्यक्तियों के समूह की रिपोर्ट को अपनाना शामिल है..