अमेरिका-जापान निवेश विवाद के बीच पीएम मोदी का टोक्यो दौरा, वार्षिक शिखर सम्मेलन पर सबकी निगाहें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय जापान यात्रा पर रवाना हो गए हैं. यह यात्रा जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के निमंत्रण पर हो रही है. वहीं पीएम मोदी के जापान पहुंचने से पहले ही एक बड़ा घटना क्रम सामने आया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय जापान यात्रा पर रवाना हो गए हैं. यह यात्रा जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के निमंत्रण पर हो रही है. वहीं पीएम मोदी के जापान पहुंचने से पहले ही एक बड़ा घटना क्रम सामने आया है.

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Ravi Prashant
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी Photograph: (X/ANI)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान की दो दिवसीय यात्रा के लिए रवाना हो गए हैं. यह दौरा जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के निमंत्रण पर हो रहा है. इसमें दोनों नेता भारत-जापान रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने पर चर्चा करेंगे. खासतौर पर क्वाड, रक्षा सहयोग, प्रौद्योगिकी और निवेश जैसे मुद्दे एजेंडे में रहेंगे.

यात्रा से पहले ये क्या हो गया? 

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लेकिन इस यात्रा से ठीक पहले एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है. जापान के मुख्य व्यापार वार्ताकार र्योसी अकाज़ावा ने आखिरी समय में अपनी अमेरिका यात्रा रद्द कर दी, जहां उन्हें 550 अरब डॉलर के निवेश पैकेज पर अंतिम सहमति बनानी थी. यह पैकेज अमेरिका-जापान व्यापार विवाद और उच्च टैरिफ को कम करने के लिए अहम माना जा रहा था.

अमेरिका-जापान मतभेद और मोदी का एजेंडा

इस पैकेज के तहत अमेरिका ने टोक्यो के आयात शुल्क को 25% से घटाकर 15% करने पर सहमति जताई थी. लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि इस निवेश का 90% लाभ अमेरिका को ही मिलेगा. जापान ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि निवेश आपसी लाभ के आधार पर होना चाहिए. जापानी पक्ष अब चाहता है कि अमेरिका पहले ऑटो पार्ट्स और अन्य सामानों पर ओवरलैपिंग टैरिफ हटाए, तभी पैकेज को औपचारिक रूप दिया जाए.

यह गतिरोध ऐसे समय में सामने आया है जब पीएम मोदी की यात्रा से भारत-जापान आर्थिक संबंधों को नई गति मिलने की उम्मीद जताई जा रही थी. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जापान-अमेरिका निवेश पैकेज पर अनिश्चितता बनी रहती है, तो भारत के लिए यह अवसर होगा कि वह जापान को अपने साथ और गहराई से जोड़ सके.

भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन

टोक्यो में होने वाले इस 15वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में रक्षा, साइबर सुरक्षा, सेमीकंडक्टर निवेश और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर चर्चा हो सकती है. साथ ही, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में क्वाड की भूमिका पर भी जोर रहेगा.

विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका-जापान निवेश विवाद के बीच मोदी की यह यात्रा भारत के लिए एक रणनीतिक बढ़त साबित हो सकती है. भारत इस मौके पर जापानी कंपनियों को आश्वस्त कर सकता है कि भारत निवेश और उत्पादन के लिए ज्यादा स्थिर और भरोसेमंद साझेदार है.

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