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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की बहन आलीमा खान ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट (IHC) में अडियाला जेल सुपरिंटेंडेंट और कई अन्य अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है. उनका आरोप है कि हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद उन्हें अपने भाई से मिलने से लगातार रोका जा रहा है. आलीमा ने यह याचिका खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री सोहेल आफरीदी और PTI नेताओं की मौजूदगी में दायर की, जिससे मामले की राजनीतिक गर्माहट और बढ़ गई.
कोर्ट आदेश की अनदेखी का आरोप
याचिका में IHC के 24 मार्च को दिए गए आदेश का हवाला दिया गया है, जिसमें इमरान खान को सप्ताह में दो दिन-मंगलवार और गुरुवार-परिवार से मुलाकात का अधिकार दिया गया था. अगस्त 2023 से अडियाला जेल में बंद 73 वर्षीय इमरान खान से मिलने में बार-बार रोके जाने को आलीमा ने कोर्ट की अवमानना बताया है. उनका कहना है कि जेल अधिकारी जानबूझकर आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं और उन्हें प्रवेश की अनुमति नहीं देकर इमरान के कानूनी अधिकारों का हनन कर रहे हैं.
आरोपों के दायरे में कई अधिकारी
आलीमा खान ने अपनी याचिका में जेल सुपरिंटेंडेंट अब्दुल गफूर अनजुम, सदर बेरोनी थाना SHO राजा ऐजाज अजीम, संघीय गृह सचिव कैप्टन (रिटा.) मुहम्मद खुर्रम आगा और पंजाब गृह विभाग सचिव नूरुल अमीन को जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि इमरान खान की सेहत को लेकर परिवार बेहद चिंतित है, लेकिन प्रशासन न तो मुलाकात की अनुमति दे रहा है और न ही स्वास्थ्य संबंधी कोई जानकारी उपलब्ध करवा रहा है.
16 घंटे का धरना और बढ़ता आक्रोश
गुरुवार को मुलाकात न मिलने के बाद आलीमा खान और मुख्यमंत्री सोहेल आफरीदी ने अडियाला जेल रोड पर 16 घंटे लंबा धरना दिया. सुबह तक धरना खत्म करना पड़ा, लेकिन मुलाकात फिर भी नहीं हो सकी. आफरीदी ने बताया कि IHC चीफ जस्टिस से मिलने की उनकी कोशिश भी नाकाम रही। उन्होंने चेतावनी दी कि PTI संसद का सत्र चलने नहीं देगी और आने वाले दिनों में हाईकोर्ट तथा जेल के बाहर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होंगे.
राजनीतिक तनाव और सरकार की प्रतिक्रिया
PTI सांसदों व समर्थकों ने इमरान खान की कथित खराब सेहत और लगातार बढ़ती पाबंदियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. हालांकि सरकार का दावा है कि इमरान खान पूरी तरह स्वस्थ हैं और उन्हें विशेष सुविधाएं भी दी जा रही हैं. इसके बावजूद मुख्यमंत्री आफरीदी का कहना है कि वे अपने नेता से मिलने तक आंदोलन जारी रखेंगे. उनके अनुसार, सभी संवैधानिक रास्ते आजमाने के बाद भी नतीजा न मिलना गंभीर सवाल खड़ा करता है-अब मुलाकात के लिए कौन-सा रास्ता बचा है?
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