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पाकिस्तान और अमेरिका रेयर अर्थ डील Photograph: (ANI)
पाकिस्तान ने इतिहास में पहली बार दुर्लभ खनिजों यानी रेयर अर्थ मिनरल्स की खेप अमेरिका भेजी है. ये डील करीब 500 मिलियन डॉलर की बताई जा रही है और इसे पाकिस्तान-अमेरिका के बीच नए रणनीतिक साझेदारी की शुरुआत माना जा रहा है.
पाकिस्तान के अखबार Dawn के मुताबिक, यह खेप अमेरिका की कंपनी US Strategic Metals (USSM) के साथ हुए हालिया समझौते (MoU) के तहत भेजी गई है. इसमें कॉपर कॉन्सन्ट्रेट, एंटिमनी, और दुर्लभ तत्व जैसे नियोडिमियम (Neodymium) और प्रसीओडिमियम (Praseodymium) शामिल हैं, जो हाई-टेक और ग्रीन एनर्जी उपकरणों के लिए बेहद जरूरी माने जाते हैं.
पाकिस्तान सरकार ने क्या कहा?
इस साझेदारी के तहत पाकिस्तान में खनन, प्रोसेसिंग और रिफाइनिंग की नई सुविधाएं विकसित की जाएगी. अमेरिकी कंपनी ने इसे Pakistan–US Strategic Partnership का ऐतिहासिक पड़ाव बताया है, वहीं पाकिस्तान सरकार का दावा है कि इससे देश में विदेशी निवेश, रोजगार और आधुनिक तकनीक तक पहुंच बढ़ेगी.
पीटीआई ने उठाए सवाल
लेकिन ये समझौता घरेलू राजनीति में विवाद का कारण भी बन गया है. विपक्षी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने गुपचुप और असंतुलित समझौते किए हैं. PTI के सूचना सचिव शेख वक़ास अकराम ने Dawn से कहा कि बिना संसदीय अनुमति के ऐसे सौदे करना राजनीतिक अस्थिरता को और बढ़ाएगा.
उन्होंने संसद में इस समझौते पर खुली बहस और पूरी पारदर्शिता की मांग की है. इस राजनयिक पहल को तब और गति मिली जब पिछले महीने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर ने वॉशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को रेयर अर्थ के सैंपल्स भेंट किए थे.
क्या हैं Rare Earth Elements और क्यों हैं इतने अहम?
रेयर अर्थ एलिमेंट्स कुल 17 धातुएं हैं, जिनमें 15 लैंथनाइड्स, स्कैंडियम और इट्रियम शामिल हैं. नाम में “Rare” जरूर है, लेकिन ये तत्व धरती में अपेक्षाकृत प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. मुश्किल ये है कि इनका हाई कंसंट्रेशन वाला खनिज रूप कम मिलता है, इसलिए इनकी माइनिंग और रिफाइनिंग जटिल और महंगी होती है. इन धातुओं की खासियत उनकी चुंबकीय शक्ति, चालकता और चमक है, जो इन्हें इलेक्ट्रिक वाहनों, विंड टर्बाइनों, मोबाइल फोन, रक्षा प्रणालियों और सेमीकंडक्टरों के लिए अनिवार्य बनाती है.
चीन है ग्लोबल प्लेयर
वर्तमान में चीन इस क्षेत्र में सबसे आगे है. वह न सिर्फ उत्पादन बल्कि प्रोसेसिंग वैल्यू चेन पर भी नियंत्रण रखता है. इसी कारण अमेरिका, जापान, भारत और अब पाकिस्तान जैसे देश इन संसाधनों की वैकल्पिक सप्लाई चेन विकसित करने की दौड़ में हैं ताकि बीजिंग पर निर्भरता घटाई जा सके.
अमेरिका को पाकिस्तान की यह पहली रेयर अर्थ शिपमेंट जहां रणनीतिक दृष्टि से अहम मानी जा रही है, वहीं विपक्ष का कहना है कि बिना पारदर्शिता के ऐसे समझौते भविष्य में राजनीतिक तूफान खड़ा कर सकते हैं. क्या पाकिस्तान इस डील से वाकई आर्थिक राहत पाएगा, या यह कदम उसकी नई कूटनीतिक निर्भरता का संकेत है यह आने वाला समय बताएगा.
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