पाकिस्तान की फिर निकली हेकड़ी, भारत ने दे दिया बड़ा झटका, इस चीज के लिए लगातार गिड़गिड़ा रहा पाक

ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान की कमर तोड़ दी है. वहां पनप रहे आतंकवाद और आतंकियों को भी भारत ने सबक सिखा दिया है. लेकिन एक बार फिर पाकिस्तान को भारत से बड़ा झटका लगा है.

author-image
Dheeraj Sharma
New Update
Big blow for Pakistan on Indus water treaty

Indus Water Treaty: पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत के रुख ने आतंकियों के सर परस्त पाकिस्तान को ऐसा जख्म दिया है कि उसकी सारी हेकड़ी निकल गई है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद पूरी दुनिया ने देख लिया कि किस तरह भारत ने आतंकियों और आतंकवाद को पनाह देने वालों के सबक सिखाया है. इस बीच भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान को जोरदार झटका दिया है. जैसे-जैसे वक्त गुजर रहा है पाकिस्तान का गिड़गिड़ाना और बढ़ रहा है. ताजा मामला सिंधु जल समझौते से जुड़ा बताया जा रहा है. 

Advertisment

पाकिस्तान की चौथी कोशिश को भी झटका

भारत-पाकिस्तान के बीच दशकों पुराने सिंधु जल समझौते को लेकर नई तनातनी शुरू हो गई है. भारत सरकार ने हाल ही में इस समझौते को स्थगित करने का बड़ा फैसला लिया, जिससे पाकिस्तान में जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है. पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए अब यह पानी की चुनौती किसी नई मुसीबत से कम नहीं है. दरअसल पाकिस्तान इस समझौते को दोबारा शुरू करने के लिए चौथ पत्र भेज चुका है जिस पर भारत ने अपना रुख साफ कर दिया है. 

भारत ने साफ कर दिया है कि सिंधु जल समझौता रद्द रहेगा. बता दें कि कई मंचों से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यह कह चुके हैं कि अब बात होगी तो सिर्फ आतंकवाद और पीओके पर ही होगी. इसके लिए किसी भी मुद्दे पर कोई बात नहीं होगी. ये पाकिस्तान के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है. 

सिंधु जल समझौते का क्या है महत्व?

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में सिंधु जल समझौता हुआ था. इस समझौते के तहत भारत ने तीन पूर्वी नदियों- रावी, ब्यास और सतलुज  का जल उपयोग करने का अधिकार रखा, जबकि तीन पश्चिमी नदियों — सिंधु, झेलम और चेनाब का पानी पाकिस्तान को उपयोग करने दिया गया.  यह समझौता दशकों से शांतिपूर्ण जल बंटवारे का प्रतीक बना रहा. 

भारत ने क्यों उठाया यह कदम?

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान जाने के बाद भारत का गुस्सा चरम पर पहुंच गया. हमले में शामिल आतंकियों के तार पाकिस्तान से जुड़े पाए गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ शब्दों में कहा- "खून और पानी साथ नहीं बह सकते." इसी विचारधारा के तहत भारत ने सिंधु जल समझौते को अस्थायी रूप से निलंबित करने का निर्णय लिया. 

पाकिस्तान की गुहार और बढ़ती चिंता

भारत के इस निर्णय के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है. अब तक चार बार पाकिस्तान की ओर से भारत को पत्र भेजे जा चुके हैं, जिनमें भारत से फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की गई है. पाकिस्तान का जल संसाधन मंत्रालय, भारत के जल शक्ति मंत्रालय को बार-बार बातचीत के लिए तैयार रहने का संकेत दे चुका है.

पाकिस्तान को डर है कि अगर भारत सिंधु, झेलम और चेनाब का पानी रोकता है तो इससे वहां की रबी की फसलें बर्बाद हो सकती हैं. यह संकट केवल कृषि तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पेयजल संकट और बिजली उत्पादन पर भी व्यापक असर डालेगा.

क्या है भारत की रणनीति

भारत ने अब पाकिस्तान जाने वाले पानी को अपने उपयोग में लाने की योजना पर तेजी से काम शुरू कर दिया है. इसके तहत लगभग 12 किलोमीटर लंबी टनल और 130 किलोमीटर तक नहरें बनाई जा रही हैं. इस पानी को रावी नहर परियोजना, इंदिरा गांधी नहर, बीकानेर नहर और गंग नहर से जोड़ा जाएगा ताकि हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली तक इसका लाभ पहुंचाया जा सके. 

यह भी पढ़ें - शशि शरूर के पत्रकार बेटे ने पिता से ऑपरेशन सिंदूर को लेकर पूछा सवाल, तो दिया ये जवाब

 

Pakistan News Indian government suspends indus water treaty Pakistan on Indus Water Treaty Indus Water Treaty pakistan
      
Advertisment