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Photo by @KanwalSibal X Account
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने एक बार फिर अमेरिका के हाथ अपनी अंतरराष्ट्रीय बेइजज्ती करवा डाली. जी हां जिस अमेरिका के दम पर पाकिस्तान हमेशा उछलता रहता है उसी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन दिनों ही पाक दिग्गजों को आइना दिखाने का काम किया है. दरअसल अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने के लिए 25 सितंबर को व्हाइट हाउस पहुंचे. इस उच्चस्तरीय द्विपक्षीय मुलाकात से पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक नई पहचान और संबंधों को मजबूती देने की उम्मीद थी, लेकिन यह बैठक अपेक्षा के विपरीत शहबाज शरीफ के लिए शर्मिंदगी का कारण बन गई.
ट्रंप ने करवाया लंबा इंतजार
'वॉशिंगटन पोस्ट' की रिपोर्ट के मुताबिक, जब शहबाज शरीफ और पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर ओवल ऑफिस में पहुंचे, उस समय ट्रंप कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर रहे थे. इसके बाद वे प्रेस से बातचीत में लग गए. हालांकि उन्हें पता था कि शहबाज और मुनीर बाहर इंतजार कर रहे हैं, फिर भी उन्होंने उन्हें करीब 30 मिनट तक प्रतीक्षा करवाई. आमतौर पर व्हाइट हाउस में अतिथि राष्ट्राध्यक्षों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाता, लेकिन इस बार मामला अलग था.
फोटो तक नहीं हुई जारी
सिर्फ इंतजार ही नहीं, बल्कि इससे भी बड़ी बेइज्जती तब हुई जब बैठक की कोई आधिकारिक फोटो सार्वजनिक नहीं की गई. ट्रंप और व्हाइट हाउस आमतौर पर हर बड़े नेता से हुई मुलाकात की तस्वीरें मीडिया को साझा करते हैं, लेकिन शहबाज शरीफ और मुनीर की मुलाकात का कोई विजुअल प्रूफ सामने नहीं आया.
यह ना सिर्फ पाकिस्तान के लिए शर्मनाक रहा, बल्कि इससे यह भी संकेत मिला कि अमेरिका शायद इस मुलाकात को लेकर उतना गंभीर नहीं था, जितना पाकिस्तान दिखाना चाहता था.
पाक की अमेरिका के करीब जाने की कोशिश
ऑपरेशन सिंदूर और भारत के कड़े रुख के बाद अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग पड़ा पाकिस्तान अब अमेरिका की शरण में जाने की कोशिश में जुटा है. पाकिस्तान के विदेश नीति विशेषज्ञ इस दौरे को एक कूटनीतिक पहल बता रहे थे, लेकिन हकीकत में यह यात्रा पाक के लिए उतनी लाभकारी साबित नहीं हुई.
डोनाल्ड ट्रंप और शहबाज शरीफ के बीच मुलाकात में ट्रेड, सुरक्षा, अफगानिस्तान और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन उसकी कोई आधिकारिक पुष्टि या संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं हुई. इससे साफ है कि अमेरिका इस रिश्ते को लेकर अब उतना उत्साहित नहीं जितना पाकिस्तान चाहता है.
कूटनीतिक झटका या हकीकत की पहचान?
शहबाज शरीफ और पाक आर्मी चीफ की यह यात्रा पाकिस्तान की विदेश नीति में एक नई दिशा देने का प्रयास थी, लेकिन इसके परिणाम उल्टे साबित हुए. व्हाइट हाउस में मिला उपेक्षा का व्यवहार पाकिस्तान के लिए एक कड़ा कूटनीतिक संदेश हो सकता है कि केवल मुलाकातें रिश्तों को मजबूत नहीं करतीं, उसके पीछे की नीयत और विश्वसनीयता भी मायने रखती है.
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