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पाकिस्तान की राष्ट्रीय एयरलाइन्स (पीआईए) लंबे वक्त से घाटे में चल रही थी, जिस वजह से वह अब बिक गई है. आरिफ हबीब ग्रुप ने सबसे ऊंची बोली लगाई और 135 अरब पाकिस्तानी रुपये में पीआईए को खरीद लिया. लकी सीमेंट ने 101.5 अरब पाकिस्तानी रुपये तो एयरब्लू ने 26.5 अरब पाकिस्तानी रुपये की बोली लगाई थी.
एयरलाइन के सुधार पर कितने खर्च होंगे?
पाकिस्तान की राष्ट्रीय एयरलाइन की निलामी से मिलने वाले कुल पैसों का 92.5 फीसद एयरलाइन की सुधार में खर्च होगा. पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पीआईए के पास इस वक्त 32 विमान है, जिसमें एयरबस- A330, एयरबस A-320, बोइंग 777 और बोइंग 737 जैसे मॉडल शामिल हैं. पीआईए के हालात फ्लाइट्स की कमी, खराब मैनेजमेंट और भारी कर्ज जैसे चीजों की वजह से खराब हुए हैं.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की तारीफ
एक ओर पाकिस्तान के हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं तो वहीं पाकिस्तानी मंत्री जनता को बेवकूफ बना रहे हैं. पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने प्रधानमंत्री के सहायक और उनकी टीम को नीलामी प्रक्रिया के लिए धन्यवाद कहा है. मुहम्मद ने कहा कि हम लोग आज जिस मुकाम पर पहुंचे हैं, वहां पहुंचने में बहुत समय लगा है. पीआईए के लिए बोली लगाने वाले सभी लोग पाकिस्तानी हैं.
'नीलामी से बढ़ेंगे विदेशी निवेशक'
औरंगजेब को उम्मीद है कि इस नीलामी से स्थानीय निवेशकों की संंख्या में इजाफा होगा. इससे देश में आने वाले विदेशी निवेशकों की संख्या में भी इजाफा होगा. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सलाहकार ने उम्मीद जताई है कि पीआईए के निजीकरण से देश में निवेश के नए रास्ते खुलेंगे. पीआईए की प्राइवेटाइजेशन कमेटी के एडवाइजर मुहम्मद अली ने बताया कि सरकार का उद्देश्य पीआईए को बेचना नहीं बल्कि उसे आत्मनिर्भर और मजबूत करना है.
जानें निलामी में क्या है आईएमएफ का रोल
बता दें, पीआईए की निलामी आईएमएफ के सात बिलियन डॉलर के बेलआउट प्रोग्राम के वजह से हुई है. दरअसल, आईएफएफ ने कहा था कि पाकिस्तान को घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों को बेचने होगा या सुधारना होगा. आईएमएफ चाह रहा था कि पीआईए पूरी तरह से प्राइवेट हो, जिससे सरकार या फिर सेना का इस पर कंट्रोल न रहे.
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