इमरान खान की बहन के आगे झुका पाकिस्तान, उज्मा खान को दी मिलने की इजाजत

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की बहन उज्मा खान को उनसे मिलने की इजाजत मिल गई है. पाकिस्तान सरकार आखिरकार पीटीआई कार्यकर्ताओं के आगे झुक गई है. इमरान खान की बहन उज्मा खान रावलपिंडी की अदियाला जेल में उनसे मिलने पहुंची हैं.

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की बहन उज्मा खान को उनसे मिलने की इजाजत मिल गई है. पाकिस्तान सरकार आखिरकार पीटीआई कार्यकर्ताओं के आगे झुक गई है. इमरान खान की बहन उज्मा खान रावलपिंडी की अदियाला जेल में उनसे मिलने पहुंची हैं.

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Ravi Prashant
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पूर्व पीएम की बहनें Photograph: (X)

पाकिस्तान की सियासत में एक बार फिर हालात गर्म हैं. जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान से उनकी बहन उज्मा खानम को मिलने की अनुमति आखिरकार मिल गई है. कई हफ्तों से जारी मांग और बढ़ते विरोध के बाद सरकार को PTI कार्यकर्ताओं के दबाव के आगे झुकना पड़ा. उज्मा खान और कार्यकर्ता मंगलवार को रावलपिंडी स्थित अदियाला जेल के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं. 

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लागू है धारा 144

यह फैसला ऐसे समय में आया है जब इस्लामाबाद और रावलपिंडी में धारा 144 लागू है. दोनों शहरों में बड़े जमावड़े या राजनीतिक गतिविधियों पर रोक है. इसके बावजूद PTI समर्थक लगातार इमरान खान से परिवार के मुलाक़ात अधिकारों पर लगी रोक के खिलाफ सड़कों पर उतरते रहे. अदियाला जेल और इस्लामाबाद हाई कोर्ट के बाहर पिछले कुछ दिनों से काफी संख्या में कार्यकर्ता जमा होकर नारेबाजी कर रहे थे.

गृह राज्य मंत्री की वार्निंग

इस तनावपूर्ण माहौल के बीच गृह राज्य मंत्री तलाल चौधरी ने मीडिया से बातचीत में साफ शब्दों में चेतावनी दी कि धारा 144 का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा कि कानून सबके लिए समान है, चाहे कोई इस्लामाबाद हाई कोर्ट पहुंचे या अदियाला जेल उल्लंघन करने वालों पर बिना किसी भेदभाव के कार्रवाई की जाएगी. उनकी यह सख्त टिप्पणी PTI समर्थकों को स्पष्ट संदेश देने के लिए मानी जा रही है.

परिवार को किया जा रहा है परेशान

पीटीआई के परिवारजन और कार्यकर्ताओं का आरोप है कि इमरान खान से मुलाक़ात के अधिकारों को “जानबूझकर रोका” जा रहा था, जिसका कोई कानूनी आधार नहीं था. उनका कहना है कि जेल प्रशासन और सरकार दोनों, इमरान खान को “अलग-थलग” रखने की कोशिश कर रहे थे. इसी मुद्दे को लेकर पिछले कई हफ्तों से इस्लामाबाद हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की जा रही थीं.

जेल प्रशासन के सूत्र बताते हैं कि सुरक्षा कारणों और लगातार बढ़ते राजनीतिक तनाव के चलते कुछ समय के लिए मुलाकातें रोकी गई थीं, लेकिन हालात की समीक्षा के बाद अनुमति देने का निर्णय लिया गया.

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