अमेरिका से यारी पाकिस्तान पर पड़ी भारी, चीन ने छोड़ा CPEC का सबसे अहम प्रोजेक्ट

पाकिस्तान और चीन की दोस्ती में दरार अब बिल्कुल साफ और चौड़ी दिखाई देने लगी है। इस क्रम में चीन का एक ऐसा फैसला सामने आया है जिसने इस्लामाबाद की बेचैनी बढ़ा दी है।

पाकिस्तान और चीन की दोस्ती में दरार अब बिल्कुल साफ और चौड़ी दिखाई देने लगी है। इस क्रम में चीन का एक ऐसा फैसला सामने आया है जिसने इस्लामाबाद की बेचैनी बढ़ा दी है।

author-image
Madhurendra Kumar
New Update
Pak China Relation bad

पाकिस्तान और चीन की दोस्ती में दरार अब बिल्कुल साफ और चौड़ी दिखाई देने लगी है। इस क्रम में चीन का एक ऐसा फैसला सामने आया है जिसने इस्लामाबाद की बेचैनी बढ़ा दी है। चीन ने अपने सबसे अहम प्रोजेक्ट CPEC यानीचीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा के सबसे बड़े हिस्से मेन लाइन-1 (ML-1) रेलवे अपग्रेड से निवेश वापस ले लिया है। करीब 60 अरब डॉलर के इस प्रोजेक्ट को पाकिस्तान अपनी रीढ़ मानता था, लेकिन अब इसे पूरा करने के लिए उसे एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) से लगभग 2 अरब डॉलर का कर्ज लेना पड़ रहा है।

क्या है ML-1 का महत्व?

Advertisment

ML-1 कराची से पेशावर तक की रेलवे लाइन को आधुनिक बनाने की योजना थी। इसे CPEC की रीढ़ कहा जाता था, जो चीन के शिंजियांग प्रांत को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने वाले 3,000 किलोमीटर लंबे गलियारे का सबसे बड़ा हिस्सा था। यह प्रोजेक्ट पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिए बनाया गया था।

क्यों टूटा चीन का भरोसा?

पाकिस्तान पर बढ़ता विदेशी कर्ज और वित्तीय अस्थिरता

बार-बार IMF से बेलआउट पैकेज लेना

चीनी पावर कंपनियों को अरबों डॉलर का बकाया

सुरक्षा माहौल और चीनी नागरिकों पर खतरा

चीन अब विदेशी निवेश में सतर्क हो गया है और उच्च जोखिम वाले प्रोजेक्ट से बच रहा है।

पाकिस्तान का अमेरिका प्रेम 

चीन पाकिस्तान भले हीं एक दूसरे को ऑल वैदर फ्रेंड कहते हों लेकिन निवेश के मामले में चीन अब पाकिस्तान में और जोखिम नहीं मोल लेना चाहता। चीनी निवेश से बेदखल पाकिस्तान का ADB se सहारा लेना  केवल वित्तीय मजबूरी नहीं, बल्कि कूटनीतिक संकेत भी है। पहली बार किसी पश्चिमी समर्थित बहुपक्षीय संस्था ने ऐसे प्रोजेक्ट में वित्त देना शुरू किया है, जिसे पहले सिर्फ चीन का क्षेत्र माना जाता था।

शरीफ की कोशिशें और हकीकत

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल की बीजिंग यात्रा में निवेशकों से सुरक्षा और प्रशासनिक सुधारों का आश्वासन दिया। लेकिन उनका CPEC 2.0 लॉन्च करने का एकतरफा ऐलान इस बात को दर्शाता है कि पाकिस्तान और चीन के बीच तालमेल डिरेल हो चुकी है। CPEC के लिए निवेश का और भरोसा जिनपिंग से हासिल करने में शरीफ और मुनीर की जोड़ी नाकामयाब रही।

भू-रणनीतिक असर

2019 के बाद से CPEC में कोई बड़ा काम आगे नहीं बढ़ पाया है। अमेरिका से पाकिस्तान का प्रेम परवान चढ़ रहा है तो वहीं  चीन-पाकिस्तान रिश्तों में दरार बढ़ती जा रही है। दूसरी तरह अमेरिका से टैरिफ वॉर के बाद भारत-चीन के संबंध SCO शिखर सम्मेलन के बाद कुछ बेहतर दिखाई दे रहे हैं। पाकिस्तान  चीन और अमेरिका के बीच संतुलन साधने की कोशिश में खुद साइडलाइन होता दिख रहा है।

आगे की राह और चुनौतियां

पाकिस्तान की पुरानी रेलवे प्रणाली रेक़ो दिक खदान परियोजना जैसे बड़े निर्यात प्रोजेक्ट्स को संभालने लायक नहीं है। इस वजह से ML-1 का अपग्रेड बेहद जरूरी है। ADB पहले ही रेक़ो दिक से जुड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर योजनाओं के लिए 410 मिलियन डॉलर की मदद मंजूर कर चुका है।

चीन का यह कदम साफ दिखाता है कि “हर परिस्थिति की दोस्ती” का दावा आर्थिक सच्चाइयों के सामने टिक नहीं पाता। पाकिस्तान को अब अपनी विदेश नीति और आर्थिक साझेदारियों में विविधता लाने की सख्त जरूरत है, ताकि किसी एक देश पर निर्भरता न रहे और वह मोहरे की तरह पानी अमेरिका तो कभी चीन के हाथों इस्तेमाल न होता रहे।

यह भी पढ़ें - 6 अगस्त 1971 : जब हुए थे अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन और पाकिस्तानी राजनयिकों के इस्तीफे

world news in hindi Latest World News World News Pakistan-China friendship Pakistan-China
Advertisment