ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते युद्ध के बीच पाकिस्तान ने अपनी कूटनीतिक स्थिति में बड़ा विरोधाभास दिखाया है. एक दिन पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने वाला पाकिस्तान, अब उन्हीं के द्वारा ईरान पर परमाणु हमले की कड़ी आलोचना कर रहा है.
पाकिस्तान ने बुलाई हाई-लेवल सुरक्षा बैठक
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने सोमवार 23 जून को नेशनल सिक्योरिटी कमेटी (NSC) की आपात बैठक बुलाई है. इस बैठक में इज़राइल-ईरान संघर्ष, भारत-पाक संबंध, और सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) पर चर्चा होगी. सूत्रों का कहना है कि इस अहम बैठक में सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर भी हिस्सा लेंगे और सुरक्षा हालात पर ब्रीफिंग देंगे.
UN में पाकिस्तान-रूस-चीन की साझा पहल
पाकिस्तान ने रूस और चीन के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया है, जिसमें मध्य-पूर्व में तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम की मांग की गई है.
ईरान पर अमेरिकी हमलों की निंदा
रविवार को पाकिस्तान ने एक बयान जारी कर कहा, “ईरान पर अमेरिकी हमले अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन हैं. संकट का हल सिर्फ कूटनीति से निकाला जा सकता है.” पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा, “ईरान पर हो रहा लगातार हमला चिंता का विषय है. इससे सिर्फ मध्य पूर्व ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए खतरनाक हालात बन सकते हैं. ” वहीं, प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने ईरान के राष्ट्रपति मसोउद पेजेश्कियन से भी फोन पर बात कर अमेरिका के हमलों की निंदा की.
अमेरिका और इजरायल के खिलाफ प्रदर्शन
कराची में हजारों लोगों ने अमेरिका और इजरायल के खिलाफ प्रदर्शन किया. सड़कों पर ट्रंप की तस्वीर वाले अमेरिकी झंडे को बिछाकर लोगों ने उस पर पैर रखकर मार्च किया. प्रदर्शनकारियों ने अमेरिका, इजरायल और भारत के खिलाफ नारेबाज़ी की.
ट्रंप को क्यों बताया था ‘शांति दूत’?
चौंकाने वाली बात यह है कि 21 जून को ही पाकिस्तान सरकार ने ट्रंप को “true peace maker” कहते हुए नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने का एलान किया था. पाकिस्तानी सरकार ने कहा था कि, “ट्रंप ने पिछले महीने भारत-पाक के चार दिन चले सैन्य तनाव को खत्म करवाने में रणनीतिक सूझबूझ दिखाई और असाधारण नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया. ”
पाकिस्तान चालाकी से बिछा रहा है बिसात
पाकिस्तान की दोहरी चाल एक ओर ट्रंप को शांति का प्रतीक बता रहा है. दूसरी ओर, उन्हीं के आदेश पर हुए हमले की वैश्विक मंचों पर निंदा कर रहा है. अमेरिका की आलोचना के साथ-साथ भारत को भी निशाना बना रहा है. यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान इस पूरे भू-राजनीतिक संकट का फायदा उठाकर अमेरिका, चीन, ईरान और भारत सभी के साथ अपने संबंधों की चालाक बिसात बिछा रहा है.
पाकिस्तान की यह दोहरी नीति यह दर्शाती है कि वह फिलहाल अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में स्पष्ट स्थिति अपनाने से बच रहा है. ट्रंप को एक दिन ‘शांति रक्षक’ और अगले दिन ‘आक्रांता’ कहना, उसकी रणनीतिक उलझनों को उजागर करता है.
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