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संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जारी गाजा संघर्ष और फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का मुद्दा प्रमुख रूप से उठाया गया. इस दौरान विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने गाजा में चल रहे संघर्ष, मानवीय संकट और क्षेत्रीय स्थिरता के विषय पर गंभीर चर्चा की. खास बात यह है कि इस दौरान दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देश के राष्ट्रपति ने उन शब्दों का उच्चारण किया जो भारतीय संस्कृति की पहचान रहे हैं. इस राष्ट्रपति ने अपने भाषण का अंत ओम शांति ओम के साथ किया.
कब और कहां गूंजा ओम शांति ओम
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रोबोवो सुबिआंतो ने अपने भाषण में वैश्विक शांति, न्याय और समानता के लिए जोरदार अपील की. इस दौरान सुबिआंतो ने कहा कि नस्लवाद, घृणा और भेदभाव जैसी मानवीय मूर्खताएं हमारी दुनिया के लिए गंभीर खतरा हैं. यही नहीं उन्होंने यह भी घोषणा की कि इंडोनेशिया गाजा में शांति स्थापित करने के लिए अपने 20,000 सैनिकों को तैनात करने के लिए तैयार है. इस दौरान उन्होंने अपने भाषण को ओम शांति ओम से कह कर विराम दिया. इन शब्दों के नरिए न सिर्फ उन्होंने शांति की अपील की बल्कि भारतीय संस्कृति को भी परिलक्षित किया.
President of Indonesia 🇮🇩, the country with the largest Muslim population in the world:
— Baba Banaras™ (@RealBababanaras) September 24, 2025
“We will have peace only when we recognize, respect, and guarantee the security of Israel 🇮🇱”
"Om Shanti, Shanti Om," says Indonesia's President at the end of his UN General Assembly speech. pic.twitter.com/fqcUm1bPLU
प्रोबोवो ने कहा, “इंडोनेशिया संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है और हम तब तक सेवा देते रहेंगे जब तक शांति के रक्षक जरूरी होंगे. यह सिर्फ शब्दों से नहीं, बल्कि जमीन पर सैनिकों की उपस्थिति से संभव होगा.”
हिंसा नहीं, संवाद पर फोकस हो
प्रोबोवो सुबिआंतो ने इजरायल-फिलिस्तीन विवाद को लेकर द्वि-राष्ट्र समाधान की बात कही. उनका कहना था कि दोनों पक्षों को स्वतंत्रता, सुरक्षा और आतंकवाद से मुक्त जीवन सुनिश्चित करना होगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि राजनीतिक समस्याओं का हल हिंसा से नहीं, बल्कि संवाद और समझौते से निकाला जाना चाहिए.
प्रोबोवो ने कहे तीन धार्मिक शांति मंत्र
बता दें कि प्रोबोवो ने अपने कुल 19 मिनट के भाषण के अंत में तीन धार्मिक मंत्रों का इस्तेमाल किया. इसमें 'ओम शांति शांति शांति ओम’, ‘नमो बुद्धाय’ और ‘शालोम’ प्रमुख रूप से शामिल रहे. यह संदेश विश्व समुदाय के लिए प्रेम, सहिष्णुता और भाईचारे का प्रतीक माना गया.
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