नेपाल में एक बार फिर राजशाही शासन लगाने की मांग हो रही है. इसके लिए सड़कों पर उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं. इसे रोकने के लिए सरकार लगातार सख्ती दिखा रही है. इस बीच पीएम ओली और कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ मोर्चा खुल गया है. राजशाही समर्थकों ने तीन अप्रैल तक का अल्टीमेटम दिया है. सरकार इससे परेशान है. नेपाल एक बार फिर राजशाही शासन की ओर बढ़ रहा है. 16 साल तक यहां पर लोकतंत्र कायम रहा. मगर अब इसे उखाड़ने का प्रयास हो रहा है. इस बीच केपी शर्मा ओली की कम्युनिस्ट सरकार ने भी पूर्व राजा ज्ञानेंद्र को लेकर बड़ा कदम उठाया है. नेपाली सरकार ने एक के बाद एक के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र को लेकर सख्त निर्णय लिए हैं.
राजा के खिलाफ सख्त कार्रवाई में जुटी सरकार
आपको बता दें कि पूर्व राजा ज्ञानेंद्र ने नेपाल के एक बड़े हिस्से का दौरा करने के बाद फरवरी में जनता से सीधे समर्थन मांगा था. इसके बाद से माहौल खराब हो गया. लेकन अब सरकार भी कार्रवाई के मूड में है. ज्ञानेंद्र की सुरक्षा को बदल दिया गया है. जितने सुरक्षाकर्मी उनकी ड्यूटी पर पहले लगाए गए थे, उसे कम कर दिया गया है. पहले जहां पर 25 सुरक्षाकर्मियों को सुरक्षा के लिए लगाया जाता था अब उसे घटाकर 16 कर दिया गया है. वहीं काठमांडू नगर निगम भी राजा के खिलाफ सख्त कार्रवाई में जुट गई है.
7.93 लाख नेपाली रुपए का जुर्माना ठोका
राजा ज्ञानेंद्र पर जुर्माना लगाया है. नगर निगम ने 7.93 लाख नेपाली रुपए का जुर्माना ठोका है. यह निर्णय शुक्रवार को हुई हिंसा को लेकर की गई तोड़फोड़ की भरपाई को लेकर लिया गया. हिंसा में कई मकान,बिल्डिंग, सरकारी दफ्तर ओर सरकारी गाड़ियों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था. इस दौरान नेपाल के गृहमंत्रालय ने भी राजशाही समर्थकों कड़ी चेतावनी दी है.
इंटेलिजेंस इनपुट से दोषियों की पहचान
हिंसा की गहन जांच जारी है. किसी के भी हिंसा में शामिल होने के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई के आदेश हैं. तस्वीर और इंटेलिजेंस इनपुट से दोषियों की पहचान हो रही है. नेपाल सरकार राजा ज्ञानेंद्र की ओर से पनपे विरोध प्रदर्शन को दबाने की कोशिश में लगी है.