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ढाका के सौंदर्यीकरण के लिए विश्व बैंक देगा कर्ज: वित्त मंत्री

विश्व बैंक दुनिया के सबसे भीड़भाड़ वाले शहरों में से बांग्लादेश की राजधानी ढाका के सौंदर्यीकरण के लिए कर्ज देगा. वित्त मंत्री एएचएम मुस्तफा कमाल ने रविवार को पत्रकारों को बताया कि ढाका के सौंदर्यीकरण की परियोजना को कई चरणों में लागू किया जाएगा. वर्तमान में विश्व बैंक के उपाध्यक्ष मार्टिन रायसर ढाका की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं. इस दौरान उन्हें प्रधान मंत्री शेख हसीना और अन्य अधिकारियों के साथ बैठकें करनी हैं. उन्हें विश्व बैंक की मदद से जारी कुछ परियोजनाओं का निरीक्षण भी करना है.

Updated on: 14 Nov 2022, 01:20 PM

ढाका:

विश्व बैंक दुनिया के सबसे भीड़भाड़ वाले शहरों में से एक बांग्लादेश की राजधानी ढाका के सौंदर्यीकरण के लिए कर्ज देगा. वित्त मंत्री एएचएम मुस्तफा कमाल ने रविवार को पत्रकारों को बताया कि ढाका के सौंदर्यीकरण की परियोजना को कई चरणों में लागू किया जाएगा. वर्तमान में विश्व बैंक के उपाध्यक्ष मार्टिन रायसर ढाका की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं. इस दौरान उन्हें प्रधान मंत्री शेख हसीना और अन्य अधिकारियों के साथ बैठकें करनी हैं. उन्हें विश्व बैंक की मदद से जारी कुछ परियोजनाओं का निरीक्षण भी करना है.

कमल की घोषणा रायसर के साथ उनकी बैठक के बाद हुई. इसमें वित्त सचिव फातिमा यास्मीन, आर्थिक संबंध विभाग (ईआरडी) सचिव शरीफा खान, विश्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक गुआंगझे चेन और निवर्तमान निदेशक मर्सी टेम्बन भी शामिल थे. वित्त मंत्री ने कहा कि ढाका के आसपास की नदियों को अवैध कब्जाधारियों से मुक्त किया जाएगा और विश्व बैंक की मदद से शहर को रहने योग्य बनाया जाएगा. बांग्लादेश ने पिछले महीने वाशिंगटन में हुई विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की सालाना बैठक के दौरान कर्ज मांगा था.

22 मिलियन से अधिक की आबादी के साथ ढाका दुनिया के सबसे भीड़भाड़ वाले शहरों में से एक है. ढाका के आसपास की नदियां अनुपचारित औद्योगिक प्रवाह, शहरी अपशिष्ट जल, कृषि रसायन, सीवेज जल, तूफान अपवाह, ठोस अपशिष्ट डंपिंग, तेल रिसाव, अवसादन और अतिक्रमण के कारण प्रदूषित हो रही हैं. रंगाई के कारखाने और चर्म शोधनशालाएं प्रदूषण फैलाने में सबसे आगे हैं.

बांग्लादेश में नदियों पर अतिक्रमण एक आम बात है. इसके अलावा ढाका में मानव मल से भी पानी प्रदूषित हो रहा है क्योंकि शहर की 70 प्रतिशत आबादी के पास बेहतर स्वच्छता सुविधाएं नहीं हैं. विकल्पहीनता के कारण नदियों के किनारे रहने वाले लोग प्रदूषित नदी के पानी का उपयोग करने के लिए मजबूर हैं. इससे जलजनित और त्वचा रोग फैलते हैं.