Coronavirus (Covid-19): विश्व बैंक ने कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर उठाया ये बड़ा कदम
Coronavirus (Covid-19): विश्व बैंक ने एक बयान में कहा कि यह 12 अरब डॉलर की राशि कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने में विकासशील देशों की मदद करने के लिए विश्व बैंक समूह के 160 अरब डॉलर के पैकेज का हिस्सा है.
वाशिंगटन :
Coronavirus (Covid-19): विश्व बैंक (World Bank) ने कोरोना वायरस का टीका (Coronavirus Vaccine Latest Update) खरीदने, वितरित करने, जांच और उपचार में विकासशील देशों की मदद करने के लिए 12 अरब डॉलर की राशि को मंजूरी दी है, ताकि एक अरब लोगों के टीकाकरण में मदद मिल सके. बैंक ने मंगलवार रात एक बयान में कहा कि यह 12 अरब डॉलर की राशि कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने में विकासशील देशों की मदद करने के लिए विश्व बैंक समूह के 160 अरब डॉलर के पैकेज का हिस्सा है.
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विश्व बैंक ने कहा कि कोविड-19 आपात कार्रवाई कार्यक्रम 111 देशों में पहले ही पहुंच रहे हैं. उसने कहा कि विकासशील देशों में नागरिकों को भी कोविड-19 के सुरक्षित एवं प्रभावी टीके तक पहुंच की आवश्यकता है. विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने एक बयान में कहा कि हम कोविड-19 आपातकाल से निपटने के अपने दृष्टिकोण को विस्तार दे रहे हैं, ताकि विकासशील देशों तक टीकों की उचित और समान पहुंच सुनिश्चित हो सके.
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कोरोना वायरस संक्रमण के बाद पांच महीने के लिए विकसित हो जाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता: अध्ययन
अमेरिका में भारतीय मूल के एक अनुसंधानकर्ता के अध्ययन में सामने आया है कि एक बार कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद शरीर में कम से कम पांच महीने के लिए कोविड-19 के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है. एरिजोना विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने कोरोना वायरस से संक्रमित हुए लगभग छह हजार लोगों के नमूनों में उत्पन्न हुए एंडीबॉडी का अध्ययन किया. विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर दीप्ता भट्टाचार्य ने कहा कि हमने स्पष्ट रूप से उच्च गुणवत्ता वाले एंटीबॉडी देखे जो संक्रमण होने के पांच से सात महीने बाद भी उत्पन्न हो रहे थे.
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अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि जब वायरस कोशिकाओं को पहली बार संक्रमित करता है तब प्रतिरक्षा तंत्र, वायरस से लड़ने के लिए कुछ देर जीवित रहने वाली प्लाज्मा कोशिकाओं को तैनात करता है जो एंटीबॉडी उत्पन्न करती हैं। उन्होंने कहा कि संक्रमण होने के 14 दिन बाद तक रक्त की जांच में यह एंटीबॉडी सामने आती हैं. अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि प्रतिरक्षा तंत्र की प्रतिक्रिया के दूसरे चरण में दीर्घकाल तक जीवित रहने वाली प्लाज्मा कोशिकाएं पैदा होती हैं जो उच्च गुणवत्ता वाली एंटीबॉडी बनाती हैं जिनसे लंबे समय तक रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है. भट्टाचार्य और उनके सहयोगियों ने कई महीनों तक कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों में एंटीबॉडी के स्तर का अध्ययन किया. अनुसंधानकर्ताओं को पांच से सात महीने तक रक्त की जांच में कोरोना वायरस एंटीबॉडी प्रचुर मात्रा में मिले. उनका मानना है कि प्रतिरोधक क्षमता इससे अधिक समय तक रह सकती है.
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