अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद देश में महिलाओं की आजादी कीा मुद्दा प्रमुख रूप से उठ रहा है. तालिबान महिलाओं की स्वतंत्रता और अधिकारों के खिलाफ है. तालिबान महिलाओं के नौकरी करने और घर से बाहर निकलने पर भी पाबंदी लगाना चाहता है. यही कारण है कि अभी तक तालिबान की नई सरकार ने अफगानिस्तान में लड़कियों के स्कूल खुलने की इजाजत नहीं दी है. वैश्विक संस्थाएं लगातार यह मांग कर रही है कि लड़कियों के स्कूल को जल्द से जल्द खोला जाये, लेकिन तालिबान उनकी मांग पर कहता है कि हम पाठ्यक्रम की समीक्षा के बाद ही लड़कियों के स्कूल फिर से खोलने पर विचार करेंगे.
तालिबान जहां महिलाओं को पर्दे में रखना चाहता है वहीं मुस्लिम देश कुवैत ने एक बार फिर महिलाओं को बड़ी छूट दी है.दरअसल, कुवैत की सेना ने मंगलवार को कहा कि महिलाएं अब लड़ाकू भूमिकाओं में सेना में शामिल हो सकती हैं.
सेना ने कहा कि यह पहली बार है जब महिलाओं को सेना में वर्षों से नागरिक भूमिकाओं तक सीमित रखा गया है.कुवैत सशस्त्र बलों ने ट्वीट किया कि रक्षा मंत्री ने कहा है कि महिलाओं के लिए कई अलग-अलग युद्ध और अधिकारी रैंक में शामिल होने का द्वार खोल दिया गया है.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंत्री ने कहा कि कुवैती महिलाओं के लिए अपने भाइयों के साथ कुवैती सेना में शामिल होने का समय आ गया है.मंत्री ने महिलाओं की "क्षमताओं और कठिनाई को सहने की क्षमता" में विश्वास व्यक्त किया.कुवैती महिलाओं को 2005 में वोट देने का अधिकार मिला.कुवैत में महिलाएं कैबिनेट और संसद दोनों में भाग लेने में सक्रिय हैं.
हालांकि, वर्तमान में, महिलाओं के पास संसद में कोई सीट नहीं है.अन्य खाड़ी देशों के विपरीत, कुवैत की संसद के पास विधायी शक्ति है.यहां के सांसद सरकार और राजघरानों को चुनौती देने के लिए जाने जाते हैं.कुवैत सेना में शामिल होने के अपने शुरुआती चरण में लड़कियां चिकित्सा और अन्य सैन्य सेवाओं में मदद करेंगी.
HIGHLIGHTS
- मुस्लिम देश कुवैत ने एक बार फिर महिलाओं को बड़ी छूट दी है
- कुवैत की सेना में महिलाएं अब लड़ाकू भूमिकाओं में सेना में शामिल हो सकती हैं
- कुवैती महिलाओं को 2005 में वोट देने का अधिकार मिला