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प्रचंड को बहुमत मिलने के 42 दिन में ही गठबन्धन में दरार, मंत्रियों को वापस बुलाने का निर्णय 

नेपाल में जिस नाटकीय तरीके से सत्तारूढ़ गठबन्धन बना था अब उसी नाटकीय तरीके से यह गठबन्धन टूटने का सिलसिला शुरू हो चुका है.

Updated on: 06 Feb 2023, 12:02 AM

काठमांडू :

नेपाल में जिस नाटकीय तरीके से सत्तारूढ़ गठबन्धन बना था अब उसी नाटकीय तरीके से यह गठबन्धन टूटने का सिलसिला शुरू हो चुका है. सरकार को समर्थन कर रहे राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी ने अपने मंत्रियों को वापस बुलाने का फैसला कर लिया है. राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी की संसदीय दल और केन्द्रीय सदस्यों संयुक्त बैठक ने सरकार में सहभागी अपने मंत्रियों को वापस बुलाने का फैसला किया है. दो दिनों की लगातार बैठक के बाद राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी ने यह फैसला किया है. पार्टी की बैठक के बाद पत्रकार सम्मेलन करते हुए रवि लामिछाने ने कहा कि बैठक में सरकार छोड़ने लेकिन सरकार को समर्थन जारी रखने का फैसला किया गया है.

नागरिकता विवाद में फंसे पार्टी के अध्यक्ष रवि लामिछाने के खिलाफ सर्वोच्च अदालत से सांसद पद, संसदीय दल के नेता पद, उपप्रधानमंत्री पद और पार्टी अध्यक्ष के पद से बर्खास्त कर दिया था. हालांकि इस फैसले के 24 घंटे बाद ही रवि लामिछाने ने दूसरी नागरिकता का प्रमाण पत्र हासिल कर लिया था.

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नई नागरिकता लेने के बाद से ही रवि लामिछाने फिर से गृहमंत्री बनने के लिए आतुर दिखाई दे रहे थे. उन्होंने बार बार प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचण्ड और सत्ता घटक के प्रमुख पार्टी के नेता केपी शर्मा ओली से मिल कर दुबारा मंत्री पद देने के लिए दबाब दे रहे थे. बिना सांसद भी 6 महीने तक मंत्री बन पाने की संवैधानिक व्यवस्था के तहत खुद को मंत्री बनाने के लिए दबाब डाल रहे थे. लेकिन प्रधानमंत्री प्रचण्ड ने अदालत के फैसले का पूर्ण पाठ नहीं आने तक मंत्री बनाने से साफ इनकार कर दिया. रवि लामिछाने पर पासपोर्ट दुरूपयोग करने, सरकारी कागजात का गलत इस्तेमाल करने का भी मामला बनता है.

रवि लामिछाने ने मंत्री नहीं बनाने पर सरकार छोड़ने की धमकी लगातार दे रहे थे और आज संसदीय दल तथा केन्द्रीय कमिटी की संयुक्त बैठक में सरकार छोड़ने का फैसला किया गया है. स्वतंत्र पार्टी के संसद में 19 सांसद हैं. हालांकि सरकार से समर्थन वापस लिए जाने पर भी सरकार के पास बहुमत के लिए पर्याप्त  संख्या मौजूद है. माओवादी अध्यक्ष प्रचण्ड की सरकार को विश्वास मत के   दौरान संसद में उपस्थित 270 में से 268 सांसदों का समर्थन मिला था.