क्या ड्रैगन की दादागिरी पड़ेगी भारी? गठबंधन 'ऑकस' में अमेरिका इस बार भारत के साथ नहीं
अब अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ हाथ मिलाने के सपने देख रहा है , चीन की घेराबंदी के लिए अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ मिलकर एक नया गठबंधन बनाया है, जिसका नाम है 'ऑकस' .
highlights
- अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ हाथ मिलाने के सपने देख रहा
- अमेरिका ने कह दिया कि वह इस नए गठबंधन में भारत को शामिल नहीं करेगा
- गठबंधन का नाम है 'ऑकस'
New Delhi:
अब अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ हाथ मिलाने के सपने देख रहा है , चीन की घेराबंदी के लिए अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ मिलकर एक नया गठबंधन बनाया है, जिसका नाम है 'ऑकस' रखा गया है . अमेरिका ने इस त्रिपक्षीय गठबंधन 'ऑकस' में भारत या जापान को शामिल किए जाने की संभावना को खारिज कर दिया है. अमेरिका ने साफ तौर पर कह दिया कि वह इस नए गठबंधन में भारत को शामिल नहीं करेगा. मगर यहां सवाल उठता है कि चीन विरोधी गठबंधन ऑकस में क्या भारत को शामिल किये बिना ही अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ड्रैगन की दादागिरी को अमेरिका कम कर पाएगा या नही.
दरअल, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने बुधवार को साझा किया कि पिछले हफ्ते ऑकस की घोषणा केवल सांकेतिक नहीं थी और मुझे लगता है कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों को यही संदेश दिया है कि हिंद-प्रशांत की सुरक्षा के लिए बनाए गठबंधन में किसी अन्य देश को शामिल नहीं किया जाएगा. साकी से सवाल किया गया था कि क्या भारत या जापान को इस गठबंधन में शामिल किया जाएगा, जिसके जवाब में उन्होंने उक्त जवाब भी दिया. अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने हिंद-प्रशांत में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र के लिए नए त्रिपक्षीय सुरक्षा गठबंधन 'ऑकस' की 15 सितंबर को घोषणा की थी, ताकि वे अपने साझा हितों की रक्षा कर सकें और परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बियां हासिल करने में ऑस्ट्रेलिया की मदद करने समेत रक्षा क्षमताओं को बेहतर तरीके से साझा कर सकें. इस समझौते के कारण उसने फ्रांस के साथ अनुबंध रद्द कर दिया .है।
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हालाकिं अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के इस गुट में भारत का न होना किसी झटके से कम होगा या नहीं, यह कहा नही जा सकता. मगर जिस तरह से पनडुब्बी डील को लेकर अमेरिका और फ्रांस के बीच तनातनी है, ऐसे में माना जा सकता है कि अमेरिका उस क्वाड को तवज्जो देना कम कर सकता है, क्वाड में भारत और फ्रांस शामिल हैं। अगर अमेरिका ऑकस को ज्यादा तरजीह देना शुरू करता है तो ऐसे में क्वाड का मिशन खतरे में आ सकता है. हालांकि, क्वाड को लेकर भारत की ओर से कहा गया है कि ऑकस के गठन से इस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा .फ्रांस ने गठबंधन में उसको शामिल ना करने की बात की थी और कहा था कि जब हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आम चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है तो यह सुसंगतता की कमी को दर्शाता है। प्रेस चिव जेन साकी ने कहा, 'यकीनन, इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष रुचि रखने वाले फ्रांस समेत कई देशों के साथ बातचीत के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है.
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