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नोटों पर जिन्ना की तस्वीर छापने का पाकिस्तान में क्यों हुआ था विरोध?

24 दिसंबर, 1957 को स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान ने पहली बार 100 रुपए का नोट जारी किया, जिस पर पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना का फ़ोटो छपा हुआ था.

Updated on: 26 Dec 2021, 08:53 PM

highlights

  • 24 दिसंबर, 1957 को स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान ने 100 रुपए का नोट जारी किया
  • नोट पर पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना का फ़ोटो छपा हुआ था
  • इस हरे नोट के दूसरी तरफ़ बादशाही मस्जिद लाहौर की तस्वीर थी

 

 
 

 

नई दिल्ली:

भारत में नोटों पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर लगती है. इसका किसी ने विरोध नहीं किया. गांधी को भारत राष्ट्रपिता मानता है. लेकिन पाकिस्तान के कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना की  तस्वीर जब पाकिस्तानी नोटों पर लगी तो इसकी तीव्र प्रतिक्रिया हुई. विरोध करने वालों में कट्टरपंथी इस्लामी समूह था. 24 दिसंबर, 1957 को स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान ने पहली बार 100 रुपए का नोट जारी किया, जिस पर पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना का फ़ोटो छपा हुआ था. इस हरे नोट के दूसरी तरफ़ बादशाही मस्जिद लाहौर की तस्वीर थी.

ये करेंसी नोट कराची, लाहौर और ढाका (अब बांग्लादेश) से एक साथ जारी किए गए थे. इस नोट पर स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान के तत्कालीन गवर्नर अब्दुल क़ादिर ने उर्दू में हस्ताक्षर किए थे. यह पाकिस्तान का पहला करेंसी नोट था, जिस पर इंसानी तस्वीर थी. मोहम्मद अली जिन्ना की फ़ोटो वाले इस करेंसी नोट के जारी होने के बाद उलेमा और अन्य लोगों की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया हुई थी.

करेंसी जारी होने के चार दिन बाद 30 दिसंबर 1957 को दैनिक जंग में इस बारे में पहली ख़बर प्रकाशित हुई थी. सेंट्रल जमीयत उलेमा-ए-पाकिस्तान के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल हमीद बदायूंनी ने इसका कड़ा विरोध करते हुए कहा था कि पाकिस्तान के संस्थापक के जीवनकाल में डाक टिकट पर उनकी तस्वीर प्रकाशित होने पर समस्या पैदा हुई थी और पाकिस्तान के संस्थापक ने यह पसंद नहीं किया था.

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31 दिसंबर, 1957 को प्रकाशित एक ख़बर के अनुसार, 'सरगोधा में आठ अलग-अलग धार्मिक और अन्य दलों के नेताओं ने एक संयुक्त बयान में कहा कि पाकिस्तानी नोटों पर फ़ोटो छापने के संबंध में स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान का नया प्रस्ताव पाकिस्तान के संविधान के दिशानिर्देशों और उसकी मूल भावना के ख़िलाफ़ है, हालांकि पाकिस्तानी अधिकारियों ने संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ ली हुई है, हम इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध करते हैं और गवर्नर, स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान और सरकार से मांग करते हैं कि वह इस तरह के प्रस्ताव को लागू न करें, जिससे पाकिस्तान के सिक्कों पर किसी व्यक्ति की तस्वीर छापने की प्रथा शुरू हो.'

जिन्ना अपने जीवन में डाक टिकटों पर चाँद-तारों या किसी प्रसिद्ध पाकिस्तानी इमारत की तस्वीर लगाना उचित समझा था.  इसी तरह, कुल पाकिस्तान दस्तूर (ऑल पाकिस्तान कॉन्स्टीट्यूशन) पार्टी के अध्यक्ष मौलाना असद-उल-क़ादरी ने सभी 'इस्लाम पसंद लोगों' से अपील की थी कि वे पाकिस्तान के संस्थापक की फ़ोटो वाले नोटों का बहिष्कार करें ताकि जारी किए गए नोटों को वापस लेने के लिए अधिकारियों को मजबूर किया जा सके.

उन्होंने सरकार के इस क़दम को "मुस्लिम भावना का अपमान" बताया और कहा था कि यह "बिल्कुल ग़ैर-इस्लामी" तरीक़ा है. उन्होंने राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्ज़ा और वित्त मंत्री से लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए नोटों को वापस लेने की अपील की थी.

इसी ख़बर में सेंट्रल जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के उपाध्यक्ष मौलाना मुफ़्ती मोहम्मद शफ़ी का एक बयान भी प्रकाशित हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा था कि 25 दिसंबर को पाकिस्तान के संस्थापक के जन्मदिन के अवसर पर एक नया 100 रुपए का नोट मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर के साथ जारी किया गया है और इसे पाकिस्तान के संस्थापक की स्मृति के रूप में जारी करना बताया जा रहा है.

उलेमा के विरोध के बावजूद कुछ ही दिनों में ये मामला ठंडा पड़ गया और सौ रुपये के नोट से शुरू होने वाला सिलसिला दूसरे नोटों पर भी शुरू हो गया और पांच रूपये और इससे ज़्यादा की क़ीमत के सभी नोटों पर पाकिस्तान के संस्थापक की फ़ोटो छपने लगी.

यहां इस बात का ज़िक्र करना ग़लत नहीं होगा कि 3 अक्टूबर 1948 को बहावलपुर रियासत ने एक डाक टिकट जारी किया था जिस पर पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना और बहावलपुर के अमीर सर सादिक़ मोहम्मद ख़ान अब्बासी के फ़ोटो प्रकाशित किए गए थे.