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Ukraine-Russia War: यूक्रेन पर ईरानी मिसाइलों से हमला कर रहा रूस, ये है वजह

Ukraine-Russia War: रूस यूक्रेन पर हमले के लिए अपनी बड़ी मिसाइलों की जगह ईरानी मिसाइलों का इस्तेमाल कर रहा है. अभी तक रूस अपने इस्कंदर जैसे भारी भरकम तबाही मचाने वाली मिसाइलों का इस्तेमाल कर रहा था, लेकिन अब उसने यूक्रेन पर हमले की रणनीति बदल ली है.

Updated on: 18 Oct 2022, 03:48 PM

highlights

  • ईरानी मिसाइलों-ड्रोन को हथियार बना रहा रूस
  • ईरानी ड्रोन ज्यादा बेहतर तरीके से हो रहे इस्तेमाल
  • रूस ने बदला है अपने हमले का तरीका

नई दिल्ली:

Ukraine-Russia War: रूस यूक्रेन पर हमले के लिए अपनी बड़ी मिसाइलों की जगह ईरानी मिसाइलों का इस्तेमाल कर रहा है. अभी तक रूस अपने इस्कंदर जैसे भारी भरकम तबाही मचाने वाली मिसाइलों का इस्तेमाल कर रहा था, लेकिन अब उसने यूक्रेन पर हमले की रणनीति बदल ली है. रूस इस हमले में ईरानी ड्रोन के साथ ही ईरानी मिसाइलों का इस्तेमाल करने लगा है. जिसे देख कर पश्चिमी देश हैरान हैं. पश्चिमी देश इस बात से परेशान हैं कि एक तरफ यूक्रेन पर चौतरफा बड़ी मिसाइलों से हमला बोलने वाला रूस अब बदल कैसे गया है. क्योंकि, वो अब बड़ी मिसाइलों की जगह छोटी और पुरानी तकनीकी से लैस मिसाइलों का इस्तेमाल कर रहा है. चलिए, हम बताते हैं कि रूस आखिर सोच क्या रहा है और क्यों उसने अपने हमले की रणनीति में परिवर्तन किया है.

ईरानी मिसाइल ज्यादा कारगर

रूस को जिन इलाकों पर कब्जा करना था, वहां बड़े पैमाने पर जब तबाही मचाने की जरूरत थी. तब उसने अपनी भारी-भरकम मिसाइलों और ड्रोन्स का इस्तेमाल किया. लेकिन अब रूसी हमला राजधानी कीव की तरफ फिर से मुड़ा है. जहां पहले की तुलना में अब ज्यादा शक्तिशाली डिफेंस कॉरिडोर तैनात है. इसमें पश्चिमी देशों से मिले एंटी मिसाइल, एंटी ड्रोन और एंटी टैंक मिसाइलों की तैनाती की गई है. इसके अलावा बेहतर व्यवस्था वाले एंटी-मिसाइल तैनात है. रूस इन जगहों पर बड़ी मिसाइलों से हमला करने से इसलिए बच रहा है, क्योंकि वो अगर 10 मिसाइलों से हमला करता है, तो कुछ हवा में ही नष्ट कर दी जाती हैं. इनकी उड़ान की उंचाई ज्यादा होने की वजह से इन्हें इंटरसेप्ट भी कर लिया जाता है. वहीं, ये कई गुना महंगी होती है. जबकि ईरानी मिसाइलें सस्ती होती हैं. दागो और भूल जाओ के सिद्धांत पर काम करती हैं. ज्यादा कीमत न होने की वजह से छोटे लक्ष्यों को भी निशाना बनाती हैं. जिससे बड़े रिहायशी इलाकों में कम नुकसान होता है.

कीमत है बड़ी वजह

रूसी मिसाइलें तकनीकी आधार पर श्रेष्ठ हैं. लेकिन यूक्रेन के पास पश्चिमी देशों खासकर ब्रिटेन, स्वीडन, अमेरिका से मिले डिफेंस सिस्टम उससे मुकाबले को तैयार हैं. इसलिए रूस कई मिसाइलें दाग कर भी वो सफलता हासिल नहीं कर पाता, जिसकी सफलता उसे सस्ती ईरानी क्रूज मिसाइलों और कॉमिकेजे ड्रोन्स के इस्तेमाल से मिलती हैं. ईरानी ड्रोन न सिर्फ सस्ते हैं, बल्कि आत्मघाती तरीके से काम करती हैं. ईरानी ड्रोन अपने लक्ष्य के ऊपर मौजूद रहती हैं और इशारा मिलते ही अपने लक्ष्य से टकराकर खुद में विस्फोट कर लेती हैं. इससे कम खर्चे में यूक्रेन में ज्यादा तबाही मच रही है. इसके अलावा ईरानी क्रूज मिसाइलें पड़ोसी देश सऊदी अरब की राजधानी रियाद तक पर सफलतापूर्वक हमलों को अंजाम दे चुकी हैं, वो भी अमेरिकी पैट्रियट एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देकर. ऐसे में रूस के लिए ये ज्यादा बेहतर सौदा है.

क्या निशाने पर आएगा ईरान?

ईरान पर पश्चिमी देश मिसाइलों और ड्रोन्स की सप्लाई का आरोप लगा रहे हैं. लेकिन ईरान और रूस इससे इनकार कर रहे हैं. इसकी वजह ये है कि रूस पर पश्चिमी देशों ने तमाम प्रतिबंध लगाए हुए हैं. ईरान पर भी प्रतिबंध हैं. लेकिन वो दूसरे तरह के हैं. ऐसे में अगर इन देशों का रिश्ता खुलकर सामने आ गया, तो पश्चिमी देशों के समर्थक ईरान के पड़ोसी उसे निशाने पर लेंगे. अमेरिका पहले से इजरायल पर दबाव डाल रहा है कि वो अपना सर्वश्रेष्ठ एयर डिफेंस सिस्टम यूक्रेन को दे. लेकिन इजरायल टालमटोल कर रहा है. ऐसे में ईरान के रूस के समर्थन में खुल कर आने से इजरायल भी खुलकर यूक्रेन के समर्थन में आ जाएगा, जो ईरान के लिए कहीं से भी अच्छा नहीं होगा. वहीं, उसके ऊपर नए-नए प्रतिबंधों की राह भी खुल जाएगी. जो वो कतई नहीं चाहेगा.