बाइडन की 'लोकतंत्र डिप्‍लोमेसी' के विरोध में चीन-रूस क्यों हुए एकजुट?  

चीनी राष्‍ट्रपति  शी जिनपिंग और रूसी राष्‍ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने संयुक्‍त रूप से अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन की लोकतंत्र पर वर्चुअल सम्‍मेलन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.  

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Kuldeep Singh
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Joe Biden and Xi Jinping

बाइडन की 'लोकतंत्र डिप्‍लोमेसी' के विरोध में चीन-रूस क्यों हुए एकजुट? ( Photo Credit : ANI)

अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन की लोकतंत्र पर वर्चुअल सम्‍मेलन के खिलाफ चीनी राष्‍ट्रपति शी चिनफ‍िंग और रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने संयुक्‍त रूप से मोर्चा खोल दिया है. अमेरिका ने जब से इस सम्मेलन का ऐलान किया है, चीन तभी से इसका विरोध कर रहा है. अब रूस भी विरोध में आगे आ गया है.  अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के आमंत्रण पर करीब 110 लोकतांत्रिक देश हिस्‍सा लेंगे. खास बात है कि इसमें भारत को आमंत्रित किया है. वहीं चीन के धुर विरोधी ताइवान को आमंतित्र किया गया है लेकिन रूस और चीन को दरकिनार कर दिया गया. यही बात इन दोनों देशों को नागवार गुजर रही है. 

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चीन और रूस के साथ आने की ये है मजबूरी
दरअसल सोवियत संघ के विखंडन के बाद रूस कमजोर हुआ है. रूस यह अच्छी तरह से जानता है कि चीन के सहयोग के बिना अमेरिका को रणनीतिक रूप से चुनौती नहीं दे सकता है. कमोबेश यही स्थिति चीन की भी है. चीन की क्षमता अभी इतनी नहीं है कि वह अकेले अमेरिका को टक्‍कर दे सके. ऐसे में चीन भी रूस का साथ चाहता है. रूस और चीन भले ही एक कम्‍युनिस्‍ट देश हो, लेकिन शीत युद्ध के समय दोनों में निकटता नहीं रही है.

अमेरिका के रेड लिस्‍ट में शामिल हुआ चीन
अमेरिका और चीन के बीच टकराव की वजह सिर्फ यह सम्मेलन नहीं है. इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाले देशों के लिए सूची जारी किया था. इस सूची में चीन का नाम भी शामिल है. इस सूची में पाकिस्तान, चीन, तालिबान, ईरान, रूस, सऊदी अरब, एरिट्रिया, ताजिकिस्तान, तुर्केमेनिस्तान और बर्मा सहित 10 देशों को शामिल किया गया है.   

Source : News Nation Bureau

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