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तालिबान से बातचीत न करके दुनिया क्यों ले रही है जोखिम :मोईद यूसुफ

पाकिस्तान के एनएसए ने अफगानिस्तान को अलग-थलग छोड़ने के परिणामों के बारे में चेतावनी देते हुए कहा कि एक सुरक्षा शून्य क्षेत्र फिर से आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन सकता है.

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Pradeep Singh
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तालिबान लड़ाके( Photo Credit : News Nation)

पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ ने कहा कि  अफगानिस्तान के प्रति विश्व के देशों का मौजूदा दृष्टिकोण युद्धग्रस्त देश को आर्थिक मंदी की ओर धकेल देगा. अफगानिस्तान में तालिबान की अंतरिम सरकार को मान्यता देने की अंतरराष्ट्रीय समुदाय की "देखो और इंतजार करो" की नीति से पाकिस्तान नाराज है. डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ ने कहा कि मौजूदा दृष्टिकोण युद्धग्रस्त देश को आर्थिक मंदी की ओर धकेल देगा. डॉन ने यूसुफ के हवाले से कहा, "अगर दुनिया इस बातचीत में दिलचस्पी रखती है, तो इसे सीधे नई सरकार के साथ होने की जरूरत है. दुनिया जिस तरह से शासन करना चाहती है, उसे प्रभावित करने और ढालने के लिए उनके साथ बातचीत होनी चाहिए.  बिना बातचीत के यह संभव नहीं होगा." 

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जबकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने अफगानिस्तान में मानवीय सहायता के प्रयासों को आगे बढ़ाने के बाद अपना कदम रोक रखा है. इसने तालिबान को पहचानने में तत्काल कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है, सुन्नी पश्तून समूह के शरीयत कानून के कठोर संस्करण को लागू करने के नाम पर घोर मानवाधिकार उल्लंघन के इतिहास को देखते हुए कई देशों ने कहा है कि वे तालिबान की कार्रवाइयों का इंतजार करेंगे और देखेंगे, जो पिछली बार अफगानिस्तान पर शासन करने से अलग होने का दावा कर रहे हैं.

अफगानिस्तान को अलग-थलग छोड़ने के परिणामों के बारे में चेतावनी देते हुए पाकिस्तान के एनएसए ने कहा कि एक सुरक्षा शून्य क्षेत्र फिर से आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन सकता है. "आप पहले से ही जानते हैं कि आईएसआईएस (आतंकवादी इस्लामिक स्टेट समूह) वहां पहले से मौजूद है, पाकिस्तानी तालिबान वहां हैं, अल कायदा वहां है. हम सुरक्षा शून्य का जोखिम क्यों उठाते हैं?"  

यूसुफ ने शरणार्थी संकट या आतंकवाद या दोनों के बारे में चेतावनी देते हुए दुनिया के देशों को तालिबान के साथ जुड़ने और बातचीत करने का आह्वान कर रहे हैं. एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस महीने की शुरुआत में, पाक सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि अफगानिसतान में प्रशासन के पतन और एक और शरणार्थी संकट को रोकने के लिए दुनिया को अफगान तालिबान से रचनात्मक रूप से जुड़ने की जरूरत है.

सेंटर फॉर एयरोस्पेस एंड सिक्योरिटी स्टडीज (सीएएसएस) द्वारा आयोजित एक वेबिनार में उन्होंने कहा, "दुनिया को अफगानिस्तान को छोड़ने की कीमत के बारे में सोचना चाहिए."
 
इस बीच अफगानिस्तान में  विद्रोह के वर्षों के दौरान पाकिस्तान पर तालिबान का समर्थन करने का आरोप लगता रहा है. और वह तालिबान सरकार बनाने में सक्रिय था. पाकिस्तान के शक्तिशाली खुफिया प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ने हाल ही में समूह के डी-फैक्टर नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से मुलाकात की, जिन्हें बाद में अनंतिम सरकार के उप प्रधान मंत्री के रूप में नामित किया गया था.

HIGHLIGHTS

  • पाकिस्तान के NSA मोईद यूसुफ तालिबान सरकार पर विश्व के मौजूदा दृष्टिकोण से नाराज
  • अफगानिस्तान को अलग-थलग छोड़ने के परिणामों के बारे में पाक NSA ने दी चेतावनी
  • दुनिया को अफगानिस्तान को छोड़ने की कीमत के बारे में सोचना चाहिए
NEW TALIBAN GOVERNMENT taliban PAK NSA Moeed Yusuf
      
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