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isis attack on russia( Photo Credit : file photo)
रूस पर 3 महीने में दूसरा बड़ा हमला करने के साथ ही ISIS ने पुतिन को चैलेंज किया है. ISIS आखिर रूस को ही बार-बार क्यों निशाना बना रहा है? इराक और सीरिया से सफाया होने के बावजूद कैसे इस्लामिक स्टेट के आतंकी दहशत फैला रहे हैं? पुतिन और दुनिया के सामने अब क्या चुनौतियां हैं आइए समझते क्या है पूरा मामला. रूस के दागिस्तान को दहलाने वाले आतंकी पूरी प्लानिंग के साथ आए थे. उन्होंने वो सबकुछ किया जो करना चाहते थे. बेकसूर लोगों की हत्या की, पादरी को मारा, सुरक्षाबलों को टारगेट किया. ISIS के खूंखार आतंकियों ने ये वारदात रूस की राजधानी मास्को से करीब 2 हजार किलोमीटर दूर दागिस्तान में की. आतंकियों ने हमले के लिए दागिस्तान को ही क्यों चुना इसकी एक बड़ी वजह वहां की मौजूदा स्थिति को माना जा रहा है. दागिस्तान रूस के पिछड़े इलाकों में एक है और यहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है. इसीलिए आतंकियों ने कम जनसंख्या वाले यहूदियों को टारगेट किया और जानबूझ कर धार्मिक स्थलों पर हमला किया. ताकि उनके दिलों में दहशत पैदा की जाए.
अमेरिका ने 2019 में सीरिया और इराक से ISIS के खात्मे का दावा किया था मगर एक बार फिर IS के आतंकी दुनियाभर में खौफ फैलाने लगे हैं. ISIS पहले जिस मकसद के लिए काम कर रहा था आज भी उसी इरादे पर कायम है. पूरी दुनिया का इस्लामीकरण करने के लिए ISIS के आतंकी साजिश रच रहे हैं और अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए खून-खराबा करने से भी बाज नहीं आ रहे. रूस में हुए ताजा हमले को भी ISIS की उसकी साजिश का हिस्सा माना जा रहा है.
दागिस्तान इस्लामिक कट्टरपंथियों का गढ़
दागिस्तान इस्लामिक कट्टरपंथियों का गढ़ माना जाता है और कई लोग ISIS से जुड़े रहे हैं. मिडिल ईस्ट में रूसी राष्ट्रपति पुतिन अपनी भूमिका बढ़ाने की कोशिश लगातार कर रहे हैं इसीलिए ये आतंकी हमला उसके विरोध के तौर पर भी देखा जा रहा है. दागिस्तान के दो शहरों में जिस तरह आतंकी वारदात हुई वो आगे के लिए भी खतरे की घंटी है. सुरक्षा बलों ने एनकाउंटर में 6 आतंकियों को मार गिराया. जिसमें 4 माखचकाला और 2 डर्बेंट में ढेर हुए. जवाबी कार्रवाई में मारा गया एक आतंकी का नाम दझिमुराद कागिरोव था. रूसी सुरक्षा बलों के मुताबिक ये इस आतंकी की उम्र 28 साल थी और ये माखचकाला का रहने वाला था यानी हमले में स्थानीय आतंकी भी शामिल थे.
रूस को ISIS लगातार निशाना बना रहा
इसी साल मार्च में राजधानी मॉस्को के कॉन्सर्ट हॉल पर ISIS के आतंकियों ने हमला किया जिसमें 130 से ज्यादा लोग मारे गए. अब 23 जून को दागिस्तान के 2 शहरों पर हुए हमले में 15 से ज्यादा लोगों की जान चली गई. ISIS अपने मजहबी एजेंडे को लेकर काम करता रहा है और रूस को टारगेट करने के पीछे भी उसकी यही रणनीति रही है. ISIS के आतंकी दुनिया के कई देशों में फैले हैं. संयुक्त राष्ट्र का भी मानना है कि बीते कुछ सालों में IS के आतंकियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. इस्लामिक स्टेट फिलहाल अफ्रीका महाद्वीप के लीबिया, कांगो, माली, नाइज़र और मोजाम्बिक में काफी बढ़ा है. इसके अलावा यूरोप में फ्रांस और ब्रिटेन में इसका प्रसार हो रहा है. अफगानिस्तान और पाकिस्तान में ISIS का सहयोगी संगठन ISIS-K एक्टिव है और लगातार आतंकी वारदादों को अंजाम देता रहता है.
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रूस पर 3 महीने में दूसरा बड़ा हमला
रूस में भी ISIS खुद को मजबूत करने में लगा है. दागिस्तान पर हुए हमले से ये साफ होता है कि पुतिन की चुनौतियां कितनी बढ़ गई हैं. रूस करीब 28 महीने से यूक्रेन के साथ जंग लड़ रहा है. यानी रूस का पूरा फोकस यूक्रेन वॉर पर है. सेना यूक्रेन से लड़ रही है ऐसे में आतंकी मौके का फायदा उठाने की फिराक में हैं. मार्च में हुए हमले के बाद भी कड़ा एक्शन नहीं लिया गया जिससे ISIS ने तीन महीने के अंदर ही हमला करने की हिमाकत कर दी. अगर ऐसा ही रहा तो रूस के लिए आंतकवाद एक बड़ी चुनौती बन जाएगा जिससे निपटना शायद आसान ना हो. इसीलिए ISIS अपनी जड़े मजबूत करने की कोशिशों में है.यूरो और अफ्रीका ही नहीं एशिया में भी ISIS अपनी दहशत कायम रखने की कोशिशो में हैं.
भारत में भी ISIS अपनी जड़े फैलाने की कोशिश में रहता है हालांकि उसे कामयाबी नहीं मिल पाई है. इसी साल मार्च में असम से आतंकी हारिस फारूकी की गिरफ्तारी की गई. दावा किया गया कि हारिस फारूकी भारत में ISIS के हेड था और आतंकियों की भर्ती कर रहा था.आतंक के खिलाफ भारत की नीती जीरो टॉलरेंस की रही है. आतंकवाद के खतरे से भारत लगातार दुनिया को आगाह भी करता रहा है. ऐसे में अब रूस समेत दूसरे पश्चिमी देशों को भी सबक लेना होगा और आतंक पर कड़ी चोट करनी होगी ताकि ISIS जैसे खूंखार संगठनों का सफाया हो सके.
Source : News Nation Bureau