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WHO की चेतावनी!... जल्दबाजी में न हटाए भारत Corona प्रतिबंध

विश्व स्वास्थ्य संगठन चीफ टेड्रॉस अधानोम गेब्रयासस ने कोरोना प्रतिबंध (Corona Guidelines) जल्द हटाने को लेकर चेतावनी दी है.

Updated on: 08 Jun 2021, 06:50 AM

highlights

  • वैश्विक स्वास्थ्य संगठन ने भारत में ढील को देख दी चेतावनी
  • खासकर उन लोगों के लिए जिन्होंने नहीं लगवाई वैक्सीन
  • भारत में पाया गया डेल्टा वेरिएंट अभी भी चिंता का विषय

संयुक्त राष्ट्र:

भारत में कोरोना वायरस (Corona Virus) की घातक दूसरी लहर के बीच कई प्रदेशों में अनलॉकडाउन शुरू हो चुका है. तमाम दिशा-निर्देशों के बीच न सिर्फ आवागमन बल्कि ऑफिस और उद्योग खोल दिए गए हैं. यह अलग बात है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन चीफ टेड्रॉस अधानोम गेब्रयासस ने कोरोना प्रतिबंध (Corona Guidelines) जल्द हटाने को लेकर चेतावनी दी है. उन्होंने कहा है-डेल्टा वरिएंट सहित अन्य 'चिंताजनक' वैरिएंट्स के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए कोरोना प्रतिबंध जल्दी हटाना खतरनाक साबित हो सकता है. उन्होंने कहा-जिन लोगों ने वैक्सीन अभी तक नहीं लगवाई हैं उनके लिए कोरोना प्रतिबंधों में ढील खतरनाक साबित हो सकती है.

कोरोना का डेल्टी स्ट्रेन चिंता का विषय
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से तकरीबन दो महीने तक बुरी तरह जूझने के बाद अब भारत में प्रतिबंधों में ढील की शुरुआत की जा चुकी है. कुछ राज्यों में प्रतिबंध हटाए जा रहे हैं तो कुछ जगह पर अब भी प्रतिबंध जारी हैं. इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि कोरोना डेल्टा स्ट्रेन अब चिंता का कारण बन रहा है. बता दें कोविड का यह स्ट्रेन सबसे पहले भारत में पाया गया था. वहीं इस वेरिएंट के दो अन्य स्ट्रेन्स के संबंध में डब्ल्यूएचओ ने कहा कि फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है. वायरस का बी.1.617 वैरिएंट को ट्रिपल म्यूटेंट वैरिएंट बताया गया है, क्योंकि यह तीन लिनीएज (वंश) में बंटा हुआ है. 

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वेरिएंट ऑफ कंसर्न है डेल्टा
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने पिछले महीने पूरे स्ट्रेन को 'वीओसी' यानी वेरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित किया था.कोरोना वायरस के भारत में पहली बार पाए गए स्वरूप बी.1.617.1 और बी.1.617.2 को अब से क्रमश: 'कप्पा' तथा 'डेल्टा' से नाम से जाना जाएगा. दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना वायरस के विभिन्न स्वरूपों की नामावली की नई व्यवस्था की घोषणा की है जिसके तहत वायरस के विभिन्न स्वरूपों की पहचान ग्रीक भाषा के अक्षरों के जरिए होगी. यह फैसला वायरस को लेकर सार्वजनिक विमर्श का सरलीकरण करने तथा देशों के नामों पर लगे कलंक को धोने की खातिर लिया गया.