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pm modi US visit ( Photo Credit : social media )
भारत के पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिका की याात्रा पर हैं. दोनों देशों के बीच आपसी संबंधों को लेकर ये यात्रा बेहद अहम मानी जा रही है और उम्मीद जताई जा रही है कि इस मौके पर दोनों देशों के बीच कई बड़ी डिफेंस डील्स भी हो सकती हैं. कहा जा रहा है कि भारत अपने पुराने पार्टनर रूस की बजाय अब अमेरिका के साथ अपने रक्षा ताल्लुकात आगे बढ़ाना चाहता है. इसी बीच रूस ने भारत के पड़ोसी और कट्टर दुश्मन पाकिस्तान के साथ रिश्तों को नई दिशा देना शुरू कर दिया है. एक ओर जहां पीएम मोदी अमेरिकी प्रेजीडेंट बाइडन से मिल रहे हैं तो वहीं दूसरी और उसी दर्मियान पुतिन ने अपने खास दूत और उप विदेश मंत्री आंद्रेई रुदेंकों को पाकिस्तान भेज दिया है. खबरों के मुताबिक आंद्रेई रुदेंकों पाकिस्तान की सरकार के साथ राजनीतिक विचार-विमर्श करेंगे.
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लेकिन बात महज राजनीतिक विचार विमर्श तक ही सीमित नहीं है. पाकिस्तान और रूस के बीच पिछले कुछ वक्त से एक अलग ही खिचड़ी पक रही है. और इन दोनों मुल्कों को एक-दूसरे के नजदीक लाने में चीन एक अहम भूमिका निभा रहा है. यूक्रेन युद्ध में फंसे रूस को इस वक्त दोस्तों की सख्त दरकार है और पाकिस्तान के तौर पर उसे एक ऐसा देश दिखाई दे रहा है जो उसका कच्चा तेल भी खरीद रहा है और गैस भी.. और हो सकता है कि आने वाले सालों में पाकिस्तान रूस के हथियारों का भी बड़ा ग्राहक बन जाए. हाल ही में रूस और पाकिस्तान के बीच डिप्लोमैटिक संबंध स्थापित हुए 75 साल पूरे हो गए. इस मौके पर पाकिस्तान की आवाम को दिए एक वीडियो मैसेज में रूस के विदेश मंत्री सर्गे्ई लैवरोव ने दोनों देशों की एकता के जिंदाबाद होने के नारे भी लगाए थे.
रूस और पाकिस्तान का एक-दूसरे के करीब आना अपने आप में एक बड़ी घटना है क्योंकि पाकिस्तान ही वो देश था जिसने कोल्ड वॉर के दिनों में उस वक्त के सोवियत संघ और आज के रूस को अफगानिस्तान में पराजित करने में अहम भूमिका निभाई थी.
दरअसल साल 1979 में सोवियत संघ ने अपने हजारों सैनिक भेजकर काबुल पर कब्जा करके एक कठपुतली सरकार बिठा दी थी. इस घटना के जवाब में अमेरिका ने पाकिस्तान के जरिेए अफगानिस्तान के मुजाहिदीनों को तैयार करके सोवियत संघ के खिलाफ करीब 10 साल तक गोरिल्ला वॉर चलवाई और नतीजतन सोवियत संघ को 1989 में अफगानिस्तान से वापस लौटना पड़ा. इस 10 साल की जंग में अफगनिस्तान में लड़ने वाले तमाम मुजाहिदों के ट्रेनिंग कैंप पाकिस्तान में ही लगते थे जिनके लिए पैसा और हथियार अमेरिका से मुहैया कराया जाता था. अफगानिस्तान में चलने वाले मुजाहिदीनों के ऑपरेशंस को अमलीजामा पहनाने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई भी अहम भूमिका निभाती थी. उस वक्त सोवियत संघ पाकिस्तान को अपना कट्टर दुश्मन मानता था.लेकिन वक्त का पहिया ऐसा घूमा है कि पाकिस्तान और रूस करीब आ रहे हैं.
(Sumit Kumar Dubey)
HIGHLIGHTS
- यूक्रेन युद्ध में फंसे रूस को इस वक्त दोस्तों की सख्त दरकार है
- पाकिस्तान रूस के हथियारों का भी बड़ा ग्राहक बन जाए
- एक समय था, जब सोवियत संघ पाकिस्तान को अपना कट्टर दुश्मन मानता था
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