आखिर ताइवान पर क्यों नजरें गड़ाए है चीन? जानें दोनों देशों का इतिहास

चीन गणराज्य या रिपब्लिक ऑफ चाइना पार्टी दशकों से चीन पर शासन कर रही थी. लेकिन एक गृहयुद्ध हुआ और रिपब्लिक ऑफ चाइना का झंडा उठाए कम्युनिस्ट गृहयुद्ध में हार गए.   

चीन गणराज्य या रिपब्लिक ऑफ चाइना पार्टी दशकों से चीन पर शासन कर रही थी. लेकिन एक गृहयुद्ध हुआ और रिपब्लिक ऑफ चाइना का झंडा उठाए कम्युनिस्ट गृहयुद्ध में हार गए.   

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Kuldeep Singh
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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग( Photo Credit : न्यूज नेशन)

चीन और ताइवान के बीच जंग की खबरें लगातार सामने आती रहती हैं. दरअसल ताइवान अपने आप को अलग देश के रूप में देखता है. दूसरी तरफ चीन उसे अपने से अलग हुए हिस्से के रूप में मानता है. चीन लगातार दावा करता रहता है कि वह ताइवान को बातचीत या सैन्य बल से चीन में शामिल कर लेगा. इसी के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है. यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि चीन की राजनीतिक पार्टी का नाम कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन है. जबकि ताइवान की राजनीतिक पार्टी का नाम रिपब्लिकन पार्टी ऑफ चीन है. ताइवान को आधिकारिक तौर पर रिपब्लिक ऑफ चाइना के रूप में जाना जाता है. दरअसल ताइवान एक द्वीप है, जिसकी दूरी चीन से सिर्फ 130 किमी है. 

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ताइवान की लगातार मजबूत होती आर्थिक स्थिति
ताइवान की स्थिति पिछले कुछ दशकों में लगातार मजबूक हुई है. आंकड़ों गौर करें तो ताइवान की जीडीपी 1965 और 1986 के बीच 360% तक बढ़ी. ताइवान में अमीर और गरीब के बीच का अंतर भी काफी तेजी से घटा है. ताइवान की मजबूत स्थिति के कारण ही उसे सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और हांगकांग के साथ स्थान मिला. भले ही ताइवान को संयुक्त राष्ट्र से मान्यता नहीं है, फिर भी 72 सालों से ताइवान में गणतंत्र है, ताइवान की अपनी सेना है, चुनी हुई सरकार है. अन्य देशों के साथ भी उसके रिश्ते काफी मजबूत  हैं. 

कैसे शुरू हुई कहानी
दरअसल 1949 तक चीन गणराज्य या रिपब्लिक ऑफ चाइना पार्टी दशकों से चीन पर शासन कर रही थी. लेकिन इसी दौरान एक गृहयुद्ध हुआ और रिपब्लिक ऑफ चाइना का झंडा उठाए कम्युनिस्ट गृहयुद्ध में हार गए. रिपब्लिक ऑफ चाइना के नेता चियांग काई-शेक और उनकी पार्टी के बचे नेता कुओमिन्तांग ताइवान भाग गए. इनमें ना सिर्फ सिपाही थे बल्कि बुद्धिजीवी और बड़े व्यापारी और उद्यमी भी थे. करीब 20 लाख लोगों ने मेन लैंड चाइना को छोड़ ताइवान को अपना घर बना लिया. इतना ही नहीं ये लोग अपने साथ राष्ट्रीय खजाने और चीन के अधिकांश स्वर्ण भंडारों से सोना लेकर ताइवान पहुंचे थे. इसी के बाद चीन ने ताइवान पर अपना अधिकार जताना शुरू कर दिया. दूसरी तरफ संयुक्त राष्ट्र ने रिपब्लिक ऑफ चाइना को निष्कासित कर दिया और ताइवान को अलग मुल्क का दर्जा देने से मना दिया.

Source : News Nation Bureau

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