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इमरान खान की क्‍या औकात कि वे जनरल बाजवा को सेवा विस्‍तार दें, वो तो...

इस नाजुक समय में इमरान खान कमर जावेद बाजवा को रिटायर करने का जोखिम मोल लेकर खुद की सरकार के लिए कोई खतरा मोल नहीं लेना चाह रहे थे.

Updated on: 20 Aug 2019, 08:38 AM

highlights

  • जनरल बाजवा को रिटायर करने का जोखिम नहीं ले सकते थे इमरान खान
  • अमेरिका ने जनरल बाजवा को सेवा विस्‍तार देने के पक्ष में था
  • अशफाक परवेज कियानी को सेवा विस्‍तार देने का विरोध किया था इमरान ने 

नई दिल्ली:

पाकिस्‍तान में जनरल कमर जावेद बाजवा को 3 साल का सेवा विस्‍तार मिल गया है. औपचारिक रूप से कहा जा रहा है कि भारत द्वारा जम्‍मू-कश्‍मीर में उठाए गए हाल के कदमों को देखते हुए इमरान खान की सरकार ने जनरल कमर जावेद बाजवा को सेवा विस्‍तार दिया है. दूसरी ओर सच्‍चाई एकदम उलट है. जनरल कमर जावेद बाजवा को सेवा विस्‍तार अमेरिका और खुद कमर जावेद बाजवा के दबाव में दिया गया है. सेना के आगे नतमस्‍तक पाकिस्‍तान के पीएम इमरान खान के सामने और कोई चारा नहीं था. इस नाजुक समय में इमरान खान कमर जावेद बाजवा को रिटायर करने का जोखिम मोल लेकर खुद की सरकार के लिए कोई खतरा मोल नहीं लेना चाह रहे थे.

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अब आप सोचेंगे कि अमेरिका ने जनरल कमर जावेद बाजवा को सेवा विस्‍तार दिलाने में क्‍यों दिलचस्‍पी ली. दरअसल, अमेरिका इस समय अफगानिस्‍तान से अपने सैनिकों की वापसी की नीति पर काम कर रहा है. यह डोनाल्‍ड ट्रंप का चुनावी मुद्दा भी रहा है और वे इस पर राष्‍ट्रपति बनने के बाद से ही काम कर रहे हैं. इसी सिलसिले में अमेरिका और अफगानिस्‍तान में सक्रिय तालिबान से बातचीत चल रही है. बातचीत अब निर्णायक दौर में है. बताया जा रहा है कि उस बातचीत को टेबल पर लाने और उसे निर्णायक बनाने में जनरल कमर जावेद बाजवा की महत्‍वपूर्ण भूमिका रही है. अब बीच में यदि जनरल कमर जावेद बाजवा रिटायर हो जाते तो डोनाल्‍ड ट्रंप का उद्देश्‍य प्रभावित हो सकता था.

जनरल कमर जावेद बाजवा पाकिस्तान में जम्‍मू-कश्‍मीर मामले के विशेषज्ञ माने जाते हैं. सेनाध्‍यक्ष बनने से पहले भी वे जम्‍मू-कश्‍मीर मामले में पाकिस्‍तान की रणनीति का हिस्‍सा माने जाते रहे हैं. पाकिस्‍तानी सेना में इस समय कश्‍मीर को लेकर पाकिस्‍तान के नजरिए से कोई बड़ा रणनीतिकार नहीं है. दूसरी ओर भारत ने जम्‍मू-कश्‍मीर को लेकर कुछ महत्‍वपूर्ण और निर्णायक कदम उठाए हैं, जिससे पाकिस्‍तान की छटपटाहट बढ़ गई है. ऐसे समय में पाकिस्‍तान जनरल कमर जावेद बाजवा को रिटायर करने का जोखिम नहीं मोल ले सकता था. लिहाजा वे सेनाध्‍यक्ष बने रहेंगे और अगले तीन साल तक अपनी सेवाएं देंगे.

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प्रधानमंत्री इमरान खान को पाकिस्‍तानी सेना को मोहरा कहा जाता है. न केवल विदेश में बल्‍कि उनके देश में भी आम तौर पर यही सोच है. जिसकी मेहरबानी से उनकी सरकार चल रही है, उसी को रिटायर करने का जोखिम वे नहीं उठा सकते थे. पूरी दुनिया में यह धारणा है कि पाकिस्‍तान में सेना ही सब कुछ तय करती है, इस लिहाज से भी इमरान कमर जावेद बाजवा को नाखुश करने की कोई भी पहल नहीं कर सकते थे. लिहाजा यह मानना कतई गलत नहीं होगा कि सेनाध्‍यक्ष कमर जावेद बाजवा ने खुद ही अपना सेवा विस्‍तार कर लिया है.

कियानी के सेवा विस्‍तार का इमरान ने किया था विरोध
जनरल कमर जावेद बाजवा को नवंबर 2016 में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार ने सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त किया था. जनरल बाजवा को तीन वर्षों का एक्सटेंशन देने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जनरल अशफाक परवेज कियानी को एक्सटेंशन दिए जाने का विरोध किया था. तब उन्‍होंने कहा था, अगर हम किसी को बढ़ावा देते हैं तो हम अपने कानून की खिलाफत करते हैं और उसे कमजोर करते हैं.

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इमरान खान ने कहा था, ‘जंग के अंदर भी सेकेंड वर्ल्ड वार, फर्स्ट वर्ल्ड वार के दौरान भी किसी को एक्सटेंशन नहीं दिया गया था. पहले और दूसरे विश्व युद्ध में, किसी भी जनरल को एक्सटेंशन नहीं मिला था. कानून तोड़कर, आप संस्थानों को नष्ट करते हैं. जो जनरल मुशर्रफ ने किया और जो डिक्टेटर करता है. आप उस दायरे को तबाह कर देते हैं. जब आप एक कानून को बदलते हैं तो आप सारे दायरे को को तोड़ देते हैं और यही किया जनरल परवेश मुशर्रफ साहब ने.’