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पुतिन के भरोसेमंद रिटायर्ड जनरल पावेल को मिली यूक्रेन युद्ध की कमान

रिटायर्ड होने के बाद जनरल पावेल अभी तक मॉस्को में रह रहा था, लेकिन अब उसे एक्टिव सर्विस में वापस आने का ऑर्डर दे दिया गया है.

Updated on: 27 Jun 2022, 10:19 PM

highlights

  • दिनभर में 1 लीटर वोदका के साथ पांच बार भोजन की आवश्यकता
  • पावेल का सैन्य तजुर्बा अफगानिस्तान औऱ सीरिया की जंग में दिखा

नई दिल्ली:

67 साल का वह रिटायर्ड जनरल, जिस पर रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन को है सबसे ज्यादा भरोसा. नाम है उसका मेजर जनरल पावेल. यह वही जनरल पावेल है, जो 40 साल से भी अधिक समय तक रूसी सेना में विभिन्न पदों पर रहने के बाद अब यूक्रेन में रूसी सेना का नेतृत्व करने जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हाल में रूस के सर्वोच्च रैंक के अधिकारी के आर्टिलरी स्ट्राइक में गंभीर रूप से घायल होने के बाद पुतिन ने ये फैसला लिया है. जनरल पावेल इस्टर्न यूक्रेन में रूसी स्पेशल फोर्स का नेतृत्व करेंगे.

रूस के लिए काफी खास है जनरल पावेल
रिटायर्ड होने के बाद जनरल पावेल अभी तक मॉस्को में रह रहा था, लेकिन अब उसे एक्टिव सर्विस में वापस आने का ऑर्डर दे दिया गया है. कई न्यूज वेबसाइट के मुताबिक, उसे दिनभर में 1 लीटर वोदका के साथ पांच बार भोजन की आवश्यकता पड़ती है. उसका शरीर इतना बड़ा है कि उसे कवर करने के लिए 2 सेट बॉडी आर्मर की आवश्यकता पड़ती है. जनरल पावेल का वजन का वजन 20 स्टोन यानी करीब 127 किग्रा है. 

जनरल पावेल के पास चार दशक से भी ज्यादा सैन्य अनुभव
अपने 40 साल के कैरियर में जनरल पावेल ने अपने सैन्य तजुर्बा का लोहा अफगानिस्तान औऱ सीरिया की जंग में मनवा चुका है. 1980 के दशक में जब वह जवान औऱ काफी फुर्तीला हुआ करता था, उस दौरान अफ़ग़ानिस्तान वॉर में काफी सक्रिय दिखा था.

आखिर क्यों है पुतिन को पावेल पर भरोसा
यूक्रेन की जंग में रूस अभी तक 10 जनरल औऱ 30 वरिष्ठ सैन्य अधिकारी खो चुका है. अनुमान के मुताबिक, यूक्रेन की जंग में अभी तक 30,000 से ज्यादा रूसी सैनिकों की मौत हो चुकी है तो वहीं चार महिनें की इस जंग में 1 लाख से ज्यादा रूसी सैनिक घायल हुए हैं. इस दौरान रूस के 4,000 टैंक और आर्मर्ड व्हिकल, 216 कॉम्बैट एयरक्राफ्ट, 183 अटैक हेलीकॉप्टर औऱ 620 ड्रोन तबाह हुए. इतने नुकसान के बावजुद पुतिन चाहते हैं कि अब यूक्रेन की जंग सेना के नेतृत्व उसे दिया जाए, जो जेलेंस्की की सेना को परास्त कर सकें और अपने सैन्य अनुभव का इस्तेमाल इस जंग में बखूबी कर सके.