भारत और ग्वाटेमाला ने सोमवार को राजनयिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
भारतीय उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और ग्वाटेमाला से उनके समकक्ष डॉ जाफथ अर्नेस्टो कैबरेरा फ्रैंको ने प्रतिनिधिमंडल स्तरीय बातचीत के बाद एमओयू पर हस्ताक्षर किए।
विदेश मंत्रालय की सचिव प्रीति सरन ने बताया कि दोनों देशों ने आतंक के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने के प्रति पतिबद्धता दिखाई है। वो देश जो आतंक के लिए वित्तिया सहायता पहुंचाते हैं उनके खिलाफ कड़े कदम उठाने के लिए दोनों देशों ने सहमति बनाई है।
बाद में ग्वाटेमाला के उपराष्ट्रपति ने एम वेंकैया नायडू के सम्मान में दोपहर को लंच का आयोजन किया था। इसके बाद वो राष्ट्रपति महल में ग्वाटेमाला के पारंपरिक संगीत वाद्य यंत्र 'मारिम्बा' को बजाने की कोशिश करते हुए दिखाई दिए।
इससे पहले दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय वार्ता में भाग लिया और कृषि, संस्कृति और जनजीवन संरक्षण से जुड़े समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
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वेंकैया नायडू ने इस मौके पर कहा कि लैटिन अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्र में ग्वाटेमाला हमेशा से ही भारत के लिए एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार रहा है।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच फार्मास्यूटिकल, ऑटोमोबाइल, कपड़ा और परिधान, शिक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), आधारभूत संरचना और बंदरगाह विकास क्षेत्रों में द्विपक्षीय व्यापार और निवेश साझेदारी को तेज करने के लिए काफी गुंजाइश है।
इससे पहले वेंकैया नायडू ने दोनों देशों के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंध बनाए रखने पर जोर देते हुए ग्वाटेमाला के राष्ट्रपति जिमी मोरालेस से मिले। साथ ही उन्होंने ग्वाटेमाला कांग्रेस के अध्यक्ष अलवरो अरज़ू एस्कोबार से भी मुलाकात की।
गौरतलब है कि 1972 में राजनयिक संबंधों की स्थापना के बाद से दोनों देशों के बीच यह पहली हाई लेवल मीट है।
बता दें कि उपराष्ट्रपति नायडू 6 मई से लैटिन अमेरिका के ग्वाटेमाला, पेरू और पनामा की पांच दिवसीय यात्रा पर हैं। यह पिछले साल कार्यालय संभालने के बाद उपराष्ट्रपति की पहली विदेश यात्रा है।
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Source : News Nation Bureau