अमेरिकी स्पीकर नैन्सी पेलोसी का विमान ताइपे एयरपोर्ट पहुंचा, चीन बौखलाया
अमेरिकी स्पीकर नैन्सी पेलोसी ताइवान पहुंच गयी हैं. ताइपे एयरपोर्ट पर नैंसी का विमान उतर चुका है.
नई दिल्ली:
अमेरिकी स्पीकर नैन्सी पेलोसी ताइवान पहुंच गयी हैं. ताइपे एयरपोर्ट पर नैंसी का विमान उतर चुका है. एयरपोर्ट पर भारी भीड़ है. एयरपोर्ट पर नैन्सी पेलोसी के स्वागत की भव्य तैयारियों के साथ ताइवान सरकार के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद हैं. नैन्सी पेलोसी के ताइवान दौरे से चीन चिढ़ा हुआ है. चीन के कड़े विरोध के बावजूद ताइपे को सोंगशान एयरपोर्ट पर नैन्सी पेलोसी विमान से उतर चुकी है. एयरपोर्ट पर ताइवान के राष्ट्रपति ने नैन्सी पेलोसी का स्वागत किया. चीन की धमकी के कारण ताइपे के सोंगशान एयरपोर्ट पर कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था बरती जा रही है. एयरपोर्ट पर रोशनी बहुत कम है. सुरक्षा के लिए जापान से कई विमान मंगवाकर तैनात किए गए हैं.
चीन ने नैन्सी पेलोसी के दौरे को उकसाने वाला बताया है. और कहा है कि यह दौरा इस क्षेत्र के लिए विध्वंसक होगा. चीन ने बॉर्डर पर तैनाती बढ़ा दी है. चीन में सिविल डिफेंस सायरन बज चुके हैं.
ताइवान में साइबर अटैक
अमेरिका से चीन की तनातनी के बीच ताइवान में साइबर अटैक की खबरें हैं. ताइवान सरकार की वेबसाइट डाउन हो गई है. इसके अलावा ताइवान के राष्ट्रपति दफ्तर की जो वेबसाइट है उसपर भी साइबर हमला हुआ है. इस साबइर हमले के पीछे चीन का हाथ हो सकता है. चीन इस वक्त अमेरिका और ताइवान से चिढ़ा हुआ है. इसकी वजह नैन्सी पेलोसी का दौरा है.
चीन ने कहा अमेरिका की विश्वसनीयता होगी कम
चीन नहीं चाहता कि अमेरिका का कोई प्रतिनधि ताइवान जाए. नैन्सी को दौरे को चीन अपने आंतरिक मामलों में दखल मान रहा है. चीन ने अमेरिका को इसका परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी है. चीन का दावा है कि नैन्सी के दौरे की वजह से इलाके में शांति भंग होगी और अस्थिरता आएगी. चीन का कहना है कि उनके और अमेरिका के संबंधों की नींव वन-चाइना सिद्धांत है. चीन की धमकियों के बीच ताइवान भी अलर्ट मोड पर है. उनकी फोर्स ने युद्ध की पूरी तैयारी कर ली है.
चीन और ताइवान में पुराना विवाद
ताइवान और चीन के बीच जंग काफी पुरानी है. 1949 में कम्यूनिस्ट पार्टी ने सिविल वार जीती थी. तब से दोनों हिस्से अपने आप को एक देश तो मानते हैं लेकिन इसपर विवाद है कि राष्ट्रीय नेतृत्व कौन सी सरकार करेगी. चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है, जबकि ताइवान खुद को आजाद देश मानता है. दोनों के बीच अनबन की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हुई. चीन और ताइवान, दोनों ही एक-दूसरे को मान्यता नहीं देते. अभी दुनिया के केवल 13 देश ही ताइवान को एक अलग संप्रभु और आजाद देश मानते हैं.
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