भारतीय संसद पर हमले के बाद पठान कोट, पुलवामा जैसे बड़े आतंकी हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित किए जाने के मुद्दे पर भारत को बड़ी कूटनीतिक जीत मिली हैं, लेकिन हम इस बड़ी जीत में अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की भूमिका को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं, जो लगातार इस खतरनाक आतंकी को यूएन की प्रतिबंधित सूची में शामिल करवाने के लिए प्रयासरत रहा. इसमें अमेरिका की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही, जो लगातार पाकिस्तान में मौजूद आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर इस्लामाबाद पर दबाव बनाता रहा.
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मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे अमेरिकी कूटनीति और आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मुहिम की जीत बताया है. उन्होंने इस जीत को दक्षिण एशिया में शांति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है.
अमेरिकी विदेश मंत्री ने इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी मिशन को भी इसके लिए बधाई दी और कहा, 'यह अमेरिकी कूटनीति व आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जीत है, जिसकी लंबे समय से प्रतीक्षा थी. यह दक्षिण एशिया में शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.'
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पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद पर भारत में हुए कई आतंकी हमलों का आरोप है. 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद उसे वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति के समक्ष प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन चीन ने इसके कई अन्य पहलुओ पर अध्ययन के लिए ज्यादा समय मांग की आवश्यकता का हवाला देते हुए इस पर 'तकनीकी रोक' लगा दी थी, जिसके बाद एक बार फिर यह मामला फिर धीमा पड़ गया था. बुधवार को चीन ने यह रोक हटा ली, जिसके बाद मसूद वैश्विक आतंकी घोषित हो गया.
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Source : News Nation Bureau