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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव : सुपर ट्यूजडे में हार के बाद वारेन उम्मीदवारी की दौड़ से बाहर

‘सभी चीजों के लिये अपनी योजना’ और आर्थिक लोकलुभावनवाद के मजबूत संदेश के साथ प्रगतिशील वर्ग की चहेती बनी एलिजाबेथ वारेन अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिये डेमोक्रेटिक पार्टी का उम्मीदवार बनने की दौड़ से गुरुवार को अलग हो गईं.

Updated on: 06 Mar 2020, 07:13 AM

वाशिंगटन:

‘सभी चीजों के लिये अपनी योजना’ और आर्थिक लोकलुभावनवाद के मजबूत संदेश के साथ प्रगतिशील वर्ग की चहेती बनी एलिजाबेथ वारेन अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिये डेमोक्रेटिक पार्टी का उम्मीदवार बनने की दौड़ से गुरुवार को अलग हो गईं. उनकी योजना की जानकारी रखने वाले ने एक व्यक्ति ने यह सूचना दी है. वारेन ने उम्मीदवारी की दौड़ से अलग होने का फैसला सुपर ट्यूजडे में एक भी प्रांत में जीत हासिल नहीं करने के बाद किया. यहां तक कि वह अपने प्रांत में भी जीत नहीं हासिल कर सकीं.

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वारेन की मंशा के बारे में यह जानकारी उस व्यक्ति ने नाम नहीं जाहिर किये जाने की शर्त पर दी है. वारेन के दौड़ से अलग हो जाने से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ किसी महिला को उतारने की डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदें धराशायी हो गईं. पिछले साल के अधिकाशं समय मैसाचुसेट्स की सीनेटर के प्रचार अभियान के रूख को देखते हुए लग रहा था कि उसमें सफलता के सारे तत्व शामिल थे. उनके पास मजबूत चुनावी संख्या, जुटाया गया भारी चंदा और विशाल राजनीतिक ढांचा था जिसके तहत उनके कार्यकर्ता पूरे देश में थे.

हालांकि, वर्मोन्ट से सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया, जिनके पास मतदाताओं का ठोस आधार है, जिन्हें उन्हें अपने पक्ष में करने की आवश्यकता थी. वारेन शुरुआती चार राज्यों में तीसरे स्थान से ऊपर नहीं आ पाईं और सुपर ट्यूजडे को उनकी करारी हार हुई. वह 14 में से एक भी राज्य में जीत हासिल नहीं कर सकीं और अपने गृह राज्य मैसाचुसेट्स में भी पूर्व उपराष्ट्रपति जो बाइडेन और सैंडर्स के बाद तीसरे स्थान पर रही.

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सीनेटर एमी क्लोबूचर के बाद वारेन के दौड़ से अलग हो जाने से डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से हवाई से प्रतिनिधि सभा की सदस्य तुलसी गबार्ड अब एकमात्र महिला उम्मीदवार बची हैं, जिन्होंने नामांकन के लिये सिर्फ एक डेलीगेट जुटाया है.