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अफगानिस्तान मामले में आलोचनाओं से घिरे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन

बाइडन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी और सहयोगी बलों की व्यवस्थित व सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए युद्धग्रस्त देश में 1,000 और सैनिकों को भेजा है.

Updated on: 16 Aug 2021, 11:11 PM

highlights

  • बाइडन की आलोचना ना सिर्फ अमेरिका में बल्कि पूरी दुनिया के सोशल मीडिया पर आलोचनाएं हो रही है
  • बाइडन और अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने राष्ट्रीय सुरक्षा दल के साथ शनिवार को वीडियो कांफ्रेंस की थी
  • रक्षा अधिकारी ने बताया था पेंटागन ने पहले घोषणा की थी कि 3,000 अतिरिक्त सैनिकों को भेजा जा रहा है

वाशिंगटन:

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन पूरी तरह आलोचनाओं से घिर चुके हैं. उनकी आलोचना ना सिर्फ अमेरिका में बल्कि पूरी दुनिया के सोशल मीडिया पर आलोचनाएं हो रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के एक दिन बाद आज रात व्हाइट हाउस से देश को संबोधित करेंगे. व्हाइट हाउस ने कहा कि बाइडन वाशिंगटन से कैंप डेविड राष्ट्रपति आवास पर लौटेंगे और ईस्ट रूम से बयान देंगे. अफगानिस्तान के हालत पर लगभग एक सप्ताह बाद बाइडन का यह पहला सार्वजनिक बयान होगा. 

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पहले खबर आई थी कि जो बाइडन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी और सहयोगी बलों की व्यवस्थित व सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए युद्धग्रस्त देश में 1,000 और सैनिकों को भेजा है. अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपने देश के नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए काबुल एयरपोर्ट के एयर ट्रैफिक कंट्रोल को टेक ओवर करने की घोषणा की. अमेरिका के एक रक्षा अधिकारी ने बताया कि बाइडन ने शनिवार को अपने बयान में कुल 5,000 जवानों की तैनाती को मंजूरी दी. इनमें वे 1,000 सैनिक भी शामिल हैं, जो पहले से अफगानिस्तान में मौजूद हैं. अमेरिकी 82वीं एयरबोर्न डिवीजन से 1,000 सैनिकों की एक बटालियन को कुवैत में उनकी मूल तैनाती के बजाय काबुल भेज दिया गया था.

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रक्षा अधिकारी ने बताया था कि पेंटागन ने पहले घोषणा की थी कि 3,000 अतिरिक्त सैनिकों को भेजा जा रहा है. बाइडन और अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने राष्ट्रीय सुरक्षा दल के साथ शनिवार को वीडियो कांफ्रेंस की थी, जिसके बाद राष्ट्रपति ने और बलों की तैनाती की घोषणा की. पिछले तीन दिनों में तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान की चार अन्य प्रांतीय राजधानियों पर कब्ज़ा किया है. कहा जा रहा है कि उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान में जितनी तेज़ी से तालिबान बढ़ रहा है, ऐसे में मज़ार-ए-शरीफ़ पर कब्ज़ा भी मुश्किल नहीं है. कई अहम शहरों में तालिबान और अफ़ग़ान बलों की भीषण लड़ाई चल रही है. अहम संघर्षों में राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी की हार के बाद उन पर दबाव बढ़ता जा रहा है. ग़नी सरकार में लगातार मंत्री और सैन्य कमांडर बदले जा रहे हैं और इसे उथल-पुथल के तौर पर ही देखा जा रहा है.