पेरिस समझौते से पीछे हटा अमेरिका, ट्रंप ने कहा इससे केवल भारत और चीन को फायदा

भारत और चीन के लिए फायदेमंद बताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया है।

भारत और चीन के लिए फायदेमंद बताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया है।

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Shivani Bansal
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पेरिस समझौते से पीछे हटा अमेरिका, ट्रंप ने कहा इससे केवल भारत और चीन को फायदा

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका (फाइल फोटो)

अमेरिका ने पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका पीछे हट गया। इसकी घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की। गुरुवार को इसका ऐलान करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका अब पेरिस क्लाइमेट डील का हिस्सा नहीं होगा।

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अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह कदम उठाया है। ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान यह वादा किया था। ट्रंप ने कहा कि वह अपने 'अमेरिकन वर्कर्स फर्स्ट' के वादे को पूरा कर रहे हैं और इससे बेहतर डील की अपेक्षा रखते हैं।

ट्रंप ने अपने बयान में इस जलवायु समझौते को भारत-चीन के लिए फायदेमंद बताया था। ट्रंप ने कहा था कि भारत इस समझौते के तहत विकसित देशों से अरबों रुपये की विदेशी मदद हासिल कर रहा है। 

ट्रंप इस समझौते को लेकर लगातार भारत-चीन पर हमला कर रहे थे। व्हाइट हाउस में भाषण के दौरान ट्रंप ने कहा, 'भारत पैरिस समझौते के तहत विकसित देशों से अरबों-अरब रुपये की विदेशी सहायता पा रहा है। पैरिस समझौते के नियम अमेरिका के लिए बहुत अन्यायी हैं।'

यह समझौता 2015 में हुआ था जब इसमें 195 देशों ने हस्ताक्षर किए थे। ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका के इस डील से पीछे हटने पर जलवायु परिवर्तन को लेकर हो रही कोशिशों को झटका लग सकता है।

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बता दें कि राष्ट्रपति चुनावों के कैंपेन के दौरान ट्रंप ने इस समझौते पर कहा था कि इससे अमेरिकी इकॉनमी को अरबों रुपये का नुकसान हुआ है। इसी के साथ उन्होने इसे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश तक करार दे दिया था।

पेरिस डील से पीछे हटने का अंदेशा डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते इटली में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान ही दे दिया था। तब उन्होंने कहा था कि वह जल्द ही इस पर फैसला लेंगे।

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जानकारों का मानना है कि ट्रंप सरकार का यह फैसला कई देशों के साथ एक अहम विदेश नीति का बिखराव होगा। इसके अलावा इसे ओबामा प्रशासन के जलवायु परिवर्तन के प्रयासों को भी इससे धक्का लगेगा।

बता दें कि इस समझौते का मकसद कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना है।

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Source : News Nation Bureau

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