उ. कोरिया को सबक सिखाएगा अमेरिका, दक्षिण कोरिया को देगा अरबों डॉलर के हथियार
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दक्षिण कोरिया को 'अरबों डॉलर' के आर्म्स सप्लाई करेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस संबंध में अमेरिका ने द. कोरिया के राष्ट्रपति से बात की है।
नई दिल्ली:
उत्तर कोरिया से जारी तनाव के बीच अमेरिका, दक्षिण कोरिया को आर्म्स सप्लाई करने की तैयारी कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को अपने दक्षिण कोरियाई समकक्ष मून जे-इन से कहा कि अमेरिका दक्षिण कोरिया को 'अरबों डॉलर' के आर्म्स सप्लाई करना चाहता है।
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति का यह बयान उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम परीक्षण के बाद आया है।
व्हाइट हाउस की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, 'राष्ट्रपति ट्रंप साउथ कोरिया को अरबों डॉलर के आर्म्स की बिक्री के लिए मंजूरी देने पर विचार कर रहें है।' हालांकि उनकी तरफ से इससे जुड़े किसी भी कॉन्ट्रैक्ट की जानकारी नहीं दी गयी।
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, अमेरिका ने 2010 से 2016 के बीच दक्षिण कोरिया के लगभग 5 अरब डॉलर का हथियार बेचा था। सऊदी अरब, ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त अरब अमीरात के बाद दक्षिण कोरिया, उस समय अमेरिकी हथियारों का चौथा सबसे बड़ा खरीदार था।
दोनों देशों के नेताओं ने इस बात को रेखांकित किया कि उत्तर कोरिया का हालिया परीक्षण एक बड़ा खतरा है और इस बात पर सहमति जताई कि वह उत्तर कोरिया को रोकने का हर संभव प्रयास करेंगे।
हाइड्रोजन बम का इस्तेमाल करते हुए उत्तर कोरिया ने किया अब तक का सबसे शक्तिशाली परमाणु परीक्षण
व्हाइट हाउस ने सियोल के एक पूर्व घोषणा की भी पुष्टि की जिसमे कहा गया है कि अमेरिका दक्षिण कोरिया के मिसाइल पेलोड क्षमताओं पर लगे प्रतिबंध को समाप्त करने जा रहा है।
दक्षिण कोरिया ने 2001 में अमेरिका के साथ एक द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। जिसके अनुसार सियोल को अपने बैलिस्टिक मिसाइल पर अधिकतम 500 किलोग्राम के भार की अनुमति थी।
हाल ही में, उत्तरी कोरिया ने हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया था, जिसपर अमेरिका ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए साफ किया है कि अब उत्तर कोरिया के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। अमेरिकी राजदूत ने संयुक्त राष्ट्र में भी इस कदम को सख्ती से उठाया था।
अमेरिका ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उत्तर कोरिया के छठी और सबसे शक्तिशाली परमाणु परीक्षण के खिलाफ सख्त कदम उठाने के संकेत दिए थे। लेकिन चीन और रूस ने तर्क दिया था कि इस स्थिति को दूर करने के लिए राजनयिक बातचीत की जरुरत है।
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