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भारतीयों को वीजा देने में अमेरिका कर रहा भेदभाव, दे रहा चीनी नागरिकों को तरजीह

अमेरिकी विदेश विभाग की वेबसाइट के मुताबिक नई दिल्ली से कोई भारतीय बी-1 बिजनेस वीजा (Visa) या बी-2 टूरिज्म वीजा के लिए आवेदन करता है, तो उसे औसतन 833 दिन बाद यानी दो साल से अधिक समय तक इंटरव्यू अपाइंटमेंट के लिए इंतजार करना पड़ेगा.

Updated on: 29 Sep 2022, 01:08 PM

highlights

  • अमेरिका का वीजा हासिल करने के लिए भारतीयों को करना पड़ रहा सालों का इंतजार
  • इसके विपरीत चीन के नागरिकों को महज चंद दिनों में मिल रहा इंटरव्यू अपाइंटमेंट
  • विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वीजा समस्या का मुद्दा एंटोनी ब्लिंकन संग बैठक में उठाया

वॉशिंगटन/नई दिल्ली:

व्यापार या पर्यटन समेत अन्य श्रेणियों के लिए अमेरिका (America) जाने वाले भारतीयों को चीनी नागरिकों की अपेक्षा वीजा हासिल करने में भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. औसत के आधार पर देखें तो भारतीयों को अमेरिकी दूतावास में वीजा के लिए इंटरव्यू अपाइंटमेंट के लिए दो साल से अधिक का इंतजार करना पड़ रहा है. इसके विपरीत चीन (China) के नागरिकों को महज चंद घंटों में वीजा अपाइंटमेंट मिल रहा है. अमेरिका के इस भेदभाव को लेकर सोशल मीडिया पर उबाल आया हुआ है. अमेरिकी विदेश विभाग की वेबसाइट के मुताबिक नई दिल्ली से कोई भारतीय बी-1 बिजनेस वीजा (Visa) या बी-2 टूरिज्म वीजा के लिए आवेदन करता है, तो उसे औसतन 833 दिन बाद यानी दो साल से अधिक समय तक इंटरव्यू अपाइंटमेंट के लिए इंतजार करना पड़ेगा. इसका दूसरा अर्थ यह निकलता है कि यदि आज कोई भारतीय (Indian) विजिटर वीजा के लिए आवेदन करता है, तो उसे जनवरी 2025 में अपाइंटमेंट मिलेगा. कोलकाता के कंसुलेट में इसी श्रेणी के वीजा के लिए 767 दिन इंतजार करना पड़ेगा, तो मुंबई में 848 दिन. इंटरव्यू अपाइंटमेंट की यह प्रतिक्षा अवधि बीते एक-दो माह में और बढ़ गई है. 

चीन में महज चंद दिनों में मिल रहा अपाइंटमेंट
भारत के विपरीत बीजिंग, शंघाई और गुआनझो में रहने वाले चीनी नागरिकों को भारतीय शहरों की तुलना में वीजा के इंटरव्यू अपाइंटमेंट के लिए महज चंद घंटों का इंतजार करना पड़ेगा. चीन की राजधानी बीजिंग में अमेरिकी दूतावास महज दो दिनों में चीनी नागरिकों को वीजा इंटरव्यू के लिए समय दे रहा है. स्टूडेंट वीजा समेत अन्य श्रेणियों के वीजा के लिए भी चीनी नागिरकों को भारतीयों की तुलना में महज चंद घंटों का इंतजार करना पड़ रहा है. अमेरिका के इस भेदभाव को लेकर सोशल मीडिया पर उबाल आया हुआ है. कुछ लोग तो इसको लेकर सीधा-सीधा मोदी सरकार की नाकाम कूटनीति से जोड़ कर पेश कर रहे हैं. नेटीजंस का कहना है कि अमेरिका भारत को अपने सामरिक हित साधने में इस्तेमाल कर रहा है. उसे भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार या उच्च शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक भारतीय छात्रों के भविष्य की कोई चिंता नहीं है. भारत का पासपोर्ट अमेरिका की नजर में बेहद कमजोर है.

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उठाया मुद्दा 
हालांकि भारत में अमेरिकी दूतावास ने मंगलवार को घोषणा की है कि वह सभी श्रेणियों के वीजा अपाइंटमेंटस खोल रहा है. इसके साथ ही उसने कहा है कि भारत से वीजा की जबर्दस्त मांग और उसके सापेक्ष 2020 से जारी कोरोना महामारी की वजह से कर्मचारियों की कमी से इंतजार की अवधि बेहद बढ़ गई है. गौरतलब है कि इसी हफ्ते अमेरिका यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन से मुलाकात के दौरान भारतीयों की अमेरिकी वीजा मिलने में आ रही दिक्कतों का मसला उठाया था. उन्होंने कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री ने आश्वस्त किया है कि अमेरिका भारतीयों की वीजा संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है. बताते हैं कि भारतीयों को अमेरिकी वीजा के लिए इंटरव्यू की अवधि बीते कुछ माह की तुलना में और बढ़ी है. जुलाई-अगस्त के महीने में यह इंतजार अवधि 500 दिन यानी लगभग डेढ़ साल के बराबर थी.