जानें कब और कैसे मिला है अमेरिका में वोटिंग का हक़
संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है और अपने सफर में इसने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं।
नई दिल्ली:
संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है और अपने सफर में इसने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। शुरुआत में जहाँ वोट डालने पर एक ही समूह का एकाधिकार था, अंदरूनी तौर पर अन्य समूहों में भी मतदाता बनने की ललक बढ़ रही थी। शुरूआती दौर में नेटिव अमेरिकन, एशियाई मूल के लोगों और गुलामों को मतदान का अधिकार नहीं था। एक दौर में महिलाएं भी मतदाता नहीं थीं लेकिन उनका संघर्ष जारी रहा।
आइये जानते हैं कि अमेरिकी लोकतंत्र में किन-किन मुकामों पर विभिन्न समूहों को वोट डालने का अधिकार मिला:
1776 में अमेरिकी स्वतंत्रता के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर हुए। शुरुआत में जहाँ केवल ज़मींदारों को वोट डालने का अधिकार था, जिनमें तकरीबन सारे ही 21 साल से अधिक उम्र के गोरे प्रोटेस्टेंट पुरुष थे।
1787 में संविधान अस्तित्व में आया और मतदान के राष्ट्रीय स्टैण्डर्ड को ख़त्म करके राज्यों को यह अधिकार दिया गया कि वो अपने-अपने हिसाब से मतदान के क़ानून बनाएं।
1790 में 'नैचरलाइजेशन' का क़ानून बना, जिसके तहत आज़ाद गोरे अप्रवासियों को नागरिकता दी गयी। 1792 में हैंपशायर ने नागरिकता के लिए ज़मीन होने की ज़रुरत को ख़त्म कर दिया।
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1807 में न्यूजर्सी ने नया क़ानून पास किया, जिसमें महिलाओं के वोट डालने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। अगले 113 सालों तक किसी भी अमेरिकी राज्य में वोट नहीं डाल पायीं।
1848 में दास-प्रथा के विरोधी और महिला अधिकारों के लड़ने वाले लोग एक हो गए और मताधिकार के लिए साझी लड़ाई लड़ने की घोषणा की गयी। वहीँ 1856 में अमेरिका में रहने वाले सभी गोरे पुरुषों को मतदान का अधिकार दे दिया गया। संपत्ति होने के नियम को हर जगह ख़त्म कर दिया गया।
1868 में पूर्व में दास रह चुके काले अमेरिकियों को महत्वपूर्ण जीत हासिल हुई और उन्हें मताधिकार दे दिया गया। 1872 में कुछ महिलाओं ने वोट डालने की कोशिश की लेकिन उन्हें या तो गिरफ्तार कर लिया गया, या बूथ पर से भगा दिया गया। आखिरकार 1920 में महिलाओं ने ये लड़ाई जीती और उन्हें वोट देने का अधिकार मिला।
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1890 में जब व्योमिंग राज्य बना, तो यहां महिलाओं को मतदान का अधिकार दिया गया। इसी साल नेटिव अमेरिकनों को भी अधिकार दिया गया लेकिन इसके लिए पहले उन्हें आवेदन करना पड़ता था।
1952 में एशियाई मूल के लोगों को भी मतदान का अधिकार हासिल हुआ। 1963 में वोटिंग के अधिकार को नागरिक अधिकार माना गया। यह आन्दोलनों की महत्वपूर्ण जीत थी।
1971 में वोट करने की उम्र घटाकर 18 साल कर दी गयी। 1993 में वोटिंग के लिए होने वाले रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को आसान बना दिया गया।
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