UNSC में पुलवामा हमले का जिक्र ना हो इसके लिए चीन ने लगाया था अड़ंगा !
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने पुलवामा आतंकी हमले की एक हफ्ते बाद भले ही कड़े शब्दों में निंदा की हो, पर चीन ने इसे रोकने की पूरी कोशिश की थी.
नई दिल्ली:
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने पुलवामा आतंकी हमले की एक हफ्ते बाद भले ही कड़े शब्दों में निंदा की हो, पर चीन ने इसे रोकने की पूरी कोशिश की थी. आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि आतंकवाद के जिक्र को लेकर अकेले चीन के विरोध के कारण पुलवामा हमले (pulwama attack) पर 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बयान में एक सप्ताह की देरी हुई. बताया जा रहा है कि चीन पुलवामा आतंकी हमले पर UNSC के बयान की विषयवस्तु को कमजोर करना चाहता था, वहीं पाकिस्तान ने पूरी कोशिश की थी कि यह जारी ही नहीं हो पाए. हालांकि इस दौरान अमेरिका ने पूरी ताकत झोंक दी थी, जिससे इस पर परिषद के सभी सदस्यों की मंजूरी मिल सके.
बता दें कि पुलवामा अटैक को लेकर यूएनएससी ने इसे जघन्य और कायराना काम बताते हुए निंदा की थी. 15 देशों के इस संगठन में चीन भी शामिल है. सुरक्षा परिषद ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का जिक्र करते हुए कहा है कि ऐसे हमलों के दोषियों को न्याय के कठघरे में लाकर कड़ी सजा दी जानी चाहिए. इसे जहां पाकिस्तान के लिए झटका तो वहीं भारत की कूटनीतिक जीत भी माना जा रहा है क्योंकि भारत की भाषा में ही UNSC ने आतंकवाद की निंदा की है.
सूत्रों ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष से मुलाकात भी की थी, लेकिन मुलाकात का मकसद पूरा नहीं हुआ.
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पिछले एक हफ्ते के भीतर इस मामले पर काफी माथापच्ची हुई. पहले पुलवामा पर UNSC बयान 15 फरवरी की शाम को ही जारी होने वाला था लेकिन चीन लगातार समय बढ़वाता रहा. 15 फरवरी को जब 14 सदस्य देश बयान जारी करनेवाले थे तब चीन ने 18 फरवरी तक का समय मांगा. दो बार तो चीन ने कई बदलाव रखे, जिससे प्रक्रिया को टाला जा सके.
पुलवामा हमले पर UNSC की आतंकवाद को लेकर निंदा के बाद चीन ने नया पैंतरा अपनाया. उसने शुक्रवार को यह कहकर बयान को हल्का करने की कोशिश की कि बयान में पाकिस्तान स्थित संगठन का जिक्र 'जनरल टर्म्स' में किया गया है, यह कोई फैसला नहीं है.
पाकिस्तान और चीन की तमाम कोशिशों के बाद भी UNSC ने जम्मू-कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों पर हुए हमले पर बयान जारी कर निंदा की, जो इतिहास में पहली बार हुआ।
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