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UNGA अध्यक्ष ने कश्मीर को बताया फिलिस्तीन, पाक से कहा उठाए मुद्दा

कश्मीर मसले को फिलिस्तीन मुद्दे से तुलना करते हुए यूएनजीए अध्यक्ष बोजकिर ने कहा कि कश्मीर विवाद के समाधान के लिए बड़ी राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है.

Updated on: 28 May 2021, 08:48 AM

highlights

  • यूएनजीए अध्यक्ष ने कश्मीर-फिलिस्तीन को एक समय का मुद्दा बताया
  • यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मसला उठाना पाक का कर्तव्य
  • तुर्की के है वोल्कन और पाकिस्तान के साथ संबंध फिलहाल हैं जगजाहिर

इस्लामाबाद:

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) अगर वैश्विक संस्थाओं में संगठनात्मक बदलाव और देशों के उचित प्रतिनिधित्व की वकालत कर रहे हैं, तो गलत नहीं है. विभिन्न देशों के मसलों की समझ नहीं होने से अक्सर उनकी साख तो प्रभावित होती ही है. साथ ही संबंधित देशों के परस्पर कूटनीतिक संबंधों पर भी असर पड़ता है. इस कड़ी में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के अध्यक्ष वोल्कन बोजकिर ने कश्मीर (Kashmir) मसले की तुलना फिलिस्तीन विवाद से करते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी (Shah Mehmood Qureshi) से कहा संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को और अधिक ताकत के साथ कश्मीर का मुद्दा उठाना चाहिए.

यूएन में कश्मीर मसला उठाना पाकिस्तान का कर्तव्य
इस्लामाबाद में पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के साथ बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यूएनजीए चीफ वोल्कन बोजकिर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर विवाद के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के मंच पर और अधिक मजबूती के साथ लाना पाकिस्तान का कर्तव्य है. पाकिस्तानी वेबसाइट डॉन के मुताबिक कश्मीर मसले को फिलिस्तीन मुद्दे से तुलना करते हुए यूएनजीए अध्यक्ष बोजकिर ने कहा कि कश्मीर विवाद के समाधान के लिए बड़ी राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है. उन्होंने यह भी यह पाकिस्तान का विशेष कर्तव्य है कि वह संयुक्त राष्ट्र के मंच पर कश्मीर के मुद्दे को और अधिक मजबूती से लाए. यही नहीं, उन्होंने यहां तक कह डाला कि वह इस बात से सहमत हैं कि फिलिस्तीनी और कश्मीर मुद्दा एक ही समय के हैं.

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कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने पर भी की टिप्पणी
उन्होंने आगे कहा कि मैंने हमेशा सभी पक्षों से जम्मू-कश्मीर की स्थिति बदलने से परहेज करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और भारत के बीच संयुक्त राष्ट्र चार्टर और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्तावों के तहत शिमला समझौते में सहमति के अनुसार शांतिपूर्ण तरीकों से समाधान निकाला जाना चाहिए था. जाहिर है कि पाकिस्तान द्वारा उपलब्ध कराए गए गलत तथ्यों के आधआर पर बोजकिर का परोक्ष तौर पर इशारा भारत द्वारा अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के कदम की ओर था. बोजकिर पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के निमंत्रण पर आधिकारिक यात्रा पर बुधवार को इस्लामाबाद पहुंचे थे.

शह पाकर कुरैशी भी कश्मीर पर खूब बोले
जाहिर है इससे पाकिस्तान के हौसले बुलंद होने ही थी. पाक विदेश मंत्री कुरैशी ने कहा कि उन्होंने यूएनजीए अध्यक्ष को कश्मीर में गंभीर स्थिति के बारे में जानकारी दी थी और फिलीस्तीनी और कश्मीर के मुद्दों के बीच समानता पर उनका ध्यान आकर्षित किया था. उन्होंने लोगों की आम मांगों पर प्रकाश डाला और कहा कि दोनों मुद्दे दशकों से यूएनएससी एजेंडा में रहे हैं. कुरैशी ने जोर देकर कहा, 'ध्यान दीजिए, ये अंतरराष्ट्रीय दायित्व हैं. संयुक्त राष्ट्र को जिम्मेदारी की वह भूमिका निभानी चाहिए जो अब तक बकाया है. कश्मीर विवाद एक वास्तविकता है और कोई भी इसे न तो नकार सकता है या इसे यूएनएससी के एजेंडे से हटा सकता है.'

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पाकिस्तान और वोल्कन के समीकरण समझें
यूएनजीए के अध्यक्ष वोल्कन बोजकिर ने राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय में बहुपक्षवाद के महत्व पर एक चर्चा के दौरान कहा कि दक्षिण एशिया में शांति, स्थिरता और समृद्धि पाकिस्तान और भारत के बीच संबंधों के सामान्यीकरण पर टिकी हुई है, जो कश्मीर मुद्दे के समाधान से संभव है. उन्होंने कहा, मैं भारत और पाकिस्तान से इस इस मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान के लिए काम करने का आग्रह करता हूं. गौरतलब है कि बोजकिर संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्षता करने वाले तुर्की के पहले नागरिक हैं. यही नहीं, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष पद संभालने से पहले अगस्त 2020 में भी पाकिस्तान का दौरा किया था. इस वक्त पाकिस्तान औऱ तुर्की की गलबहियां किसी से छिपी नहीं हैं.