ताइवान को कम आकना चीन के लिए होगी बड़ी गलती, पीएलए नेवी के लिए खतरा

विश्व की 12वीं सबसे शक्तिशाली नौसेना ताइवान के पास है. भले ही संख्या बल में वह चीन के सामने कहीं नहीं टिक सकता, लेकिन उसके पास अत्याधुनिक तकनीक है. ये उसे अमेरिका के जरिए मिली है.

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Mohit Saxena
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ताइवान को कम आकना चीन के लिए होगी बड़ी गलती( Photo Credit : social media)

विश्व की 12वीं सबसे शक्तिशाली नौसेना ताइवान (Taiwan) के पास है. भले ही संख्या बल में वह चीन के सामने कहीं नहीं टिक सकता, लेकिन उसके पास अत्याधुनिक तकनीक है. ये उसे अमेरिका के जरिए मिली है. ताइवान के पास 4 डिस्ट्राॅयर यानी युद्धपोत हैं. इनमें एम सीरिज का रॉकेट लॉन्चिंग सिस्टम लगा हुआ है, जो युद्ध के हालात में चीन की नौसेना के ऊपर कहर बनकर गिर सकता है. दरअसल दोनों देशों के बीच  130 किलोमीटर का समंदर है. यहां के द्वारा मिले इस रॉकेट लॉन्चर सिस्टम से ताइवान को बड़ा फायदा हो सकता है. ताइवान के पास फ्रीग्रेड और मिसाइल वेसल बड़ी संख्या में है, जो ना सिर्फ चीन की पीएलए नेवी के लिए काल बन सकती है, बल्कि इसमें इस तरह के एयर डिफेंस सिस्टम लगे हैं, जो धीरे चलने वाले लड़ाकू विमान, ड्रोन और हेलीकॉप्टर को निशाना बना सकते हैं. इन सभी युद्धक जहाजों पर ताइवान द्वारा निर्मित एयर डिफेंस सिस्टम स्काई ब्ल्यू लगाया गया है, जो लगभग 50 किलोमीटर के रेडियस में किसी भी उड़ने वाली चीज को गिरा सकता है. यहां तक कि अपनी तरफ आने वाली सबसोनिक मिसाइल को भी नेस्तनाबूद कर सकता है.

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ताइवान के कोस्ट गार्ड के पास ऐसे बहुत से जहाज हैं, जो चीन की पनडुब्बी पर नजर रखने के लिए काफी है. इसमें रडार और सोनार दोनों लगाए गए हैं. चीन के पास 45 से ज्यादा पनडुब्बियों हैं, जिसके जरिए वह युद्ध की स्थिति में ताइवान की तटरेखा पर हमला कर सकता है, लेकिन इन जहाजों के जरिए चीन की पनडुब्बी पर आसानी से नजर रखी जा सकती है. किस बंदरगाह पर ताइवान का नेवल बेस मौजूद है, यहां पर अत्याधुनिक रडार लगाए गए हैं. इससे  मीडियम लाइन से लेकर ताइवान की तटरेखा तक के सभी उड़ने वाले ड्रोन और हवाई जहाजों पर नजर रखी जा सकती है.

साथी समंदर में पूरा एक नेटवर्क सोनार का भी लगाया गया है, ये चीन के जंगी जहाजों के साथ.साथ पनडुब्बियों पर नजर रखने के लिए काफी है. भले ही ताइवान के पास पनडुब्बियों की संख्या चीन की तुलना में दस गुना हो. मगर इनमें से कोई भी न्यूक्लियर पावर पनडु्बी नहीं है. सिर्फ चार पनडुब्बियों की संख्या होने के कारण ताइवान की असली शक्ति समंदर के अंदर बारूदी सुरंग बिछाई जाने को लेकर है. ताइवान के पास ऐसे कई जहाज हैं जो मैरिटाइम क्षेत्र में जाकर सी माइन बिछा सकते हैं. जिससे अगर चीन के द्वारा ताइवान के नेवल ब्लॉकेट करने की कोशिश की जाएगी तो उसे बड़ी संख्या में  अपने जहाजों और नौसैनिकों की जान गवानी पड़ेगी.

एमफीबीएस शिप

ताइवान के पास ऐसे कई द्वीप हैं, जो उसकी मुख्य भूमि से दूरी पड़ते हैं. जिसमें किनमिन आइलैंड सबसे महत्वपूर्ण है. ऐसे में अपने द्वीप समूह को बचाने के लिए ताइवान में एमबीबीएस ऑपरेशन की तैयारी भी की है. इसके जरिए वह अपने टैंक को लेकर किसी भी दूरदराज तटरेखा पर जा सकता है.

यह बंदरगाह सिर्फ नौसेना नहीं बल्कि सिविलियन जहाजों द्वारा उपयोग किया जाता है. सबसे बड़ा डर इस बात का है कि अगर चीन की नौसेना द्वारा ताइवान के नेवल बलोकेड किया गया तो पूरी दुनिया  में सेमीकंडक्टर और कंप्यूटर चेक की किल्लत हो जाएगी. गौरतलब है कि फोन में इस्तेमाल होने वाली कंप्यूटर चिप्स और सेमीकंडक्टर की 70 से लेकर 90 प्रतिशत सप्लाई ताइवान के जरिए ही होती है.

Source : Rahul Dabas

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