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ईरान सीमा पर तुर्की बना रहा दीवार, अफगानिस्तान के शरणार्थियों को रोकना है मकसद

ईरान की सीमा पर बनने वाली यह दीवार तीन मीटर ऊंची और 156 किमी लंबी है.

Updated on: 04 Sep 2021, 10:55 PM

highlights

  • तालिबान के कब्जे के बाद अफगानी पड़ोसी मुल्कों में प्रवेश करना चाहते हैं
  • तुर्की सीमा पर बना रहा है दीवार, अफगान शरणार्थियों के घुसपैठ का है डर
  • दीवार के पास कई डिटेंशन साइट और वॉच टावर भी देखा गया

नई दिल्ली:

तुर्की ईरान से लगती सीमा पर दीवार का निर्माण कर  रहा है. तुर्की अपनी सीमा में अफगानिस्तान के शरणार्थियों को प्रवेश नहीं देना चाहता है. काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान से पलायन जारी है. अफगानी पड़ोसी मुल्कों में प्रवेश करना चाहते हैं. पहले से ही लाखों सीरियाई शरणार्थी यहां रह रहे हैं. अफगानी शरणार्थी तुर्की में प्रवेश न कर सके, इसलिए तुर्की ईरान सीमा पर दीवार बना रहा है. और बाड़ लगवा रहा है.  ईरान की सीमा पर बनने वाली यह दीवार तीन मीटर ऊंची और 156 किमी लंबी है.  

तुर्की सरकार ने शुक्रवार को मीडिया के दौरे के दौरान वान प्रांत में ईरान के साथ सीमा पर बनी दीवार को दिखाया. बाधा का उद्देश्य पड़ोसी देश से पार करने का प्रयास करने वाले अफगान शरणार्थियों की संख्या में अपेक्षित वृद्धि को रोकना है.  

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कुल 560 किमी लंबी सीमा में से लगभग 100 मील तक रेजर शर्प तार लगे हैं. और लगातार ड्रोन निगरानी के साथ बख्तरबंद वाहनों में सेना के गार्डों द्वारा गश्त की जाती है. दीवार के पास कई डिटेंशन साइट और वॉच टावर भी देखे जा सकते हैं. यूएनएचसीआर ( UNHRC) के अनुसार, वर्ष के अंत तक लगभग 500,000 अफगानियों के देश छोड़ने की उम्मीद है. विदेशी सहयोगियों के द्वारा लगभग 100,000 अफगानियों को पहले ही एयरलिफ्ट किया जा चुका है. तुर्की ने चेतावनी दी है कि वह अफ़ग़ानियों के और शरण आवेदनों को स्वीकार नहीं कर पाएगा.

अफगानिस्तान में तुर्की के सैंकड़ों सैनिक तैनात हैं. उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद काबुल इंटरनेशनल एयरपोर्ट की सिक्योरिटी के लिए तुर्की ने पेशकश की है. राष्ट्रपति एर्दोगन ने वार्ता के लिए तालिबान के नेता से मुलाकात का प्रस्ताव भी दिया.

काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद  काबुल एयरपोर्ट से कई तस्वीरें सामने आई थी. जो काफी भयावह थी. जिसे देखकर लग रहा था कि अफगान नागरिक किस तरह से तालिबानियों से डरे हुए थे. लोग अफगानिस्तान को छोड़ने के लिए इस तरह बेताब थे कि जब विमान में जगह नहीं मिली तो वो विमान के ऊपर बैठ गए हैं, जिसकी वजह से वो ऊपर से ही नीचे गिर गए।.

काबुल में भयावह घटनाओं को देखने के बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने दुनिया से अपील की थी कि वो अफगान नागरिकों स्वीकार करें न कि उनका निर्वासन करें. इस घड़ी सभी देश अफगान नागरिकों के लिए एकजुट हों.