अमेरिका के अफगानिस्तान नीति पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को अमेरिकी प्रशासन और खुद राष्ट्रपति ट्रंप ने बेहद गंभीरता से लिया है। अमेरिकी सरकार एक हजार और सैनिकों को अफगानिस्तान में तालिबानियों से लड़ने के लिए भेजने की योजना बना रही है।
गौरतलब है कि पीएम मोदी ने बीते साल अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की मौजूद की तारीफ की थी। पीएम मोदी ने कहा था कि बिना किसी फायदे के अफगानिस्तान में अमेरिका ने जितना योगदान दिया उतना किसी और देश ने अब तक नहीं दिया है।
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप प्रशासन ने इस बयान को गंभीरता से लिया है क्योंकि उन्हें लगता है कि पीएम मोदी का यह बयान सबूत के तौर है कि पूरी दुनिया अमेरिका को किस तरह देखती है।
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक राष्ट्रपति ट्रंप भारतीय प्रधानमंत्री मोदी के बोलने की कार्यशैली से इस कदर प्रभावित है कि जब उन्होंने बैठक में इस बयान का जिक्र किया तो वो भी मोदी की शैली में ही बोल रहे थे।
गौरतलब है कि अमेरिकी के 1 हजार और सैनिकों को अफगानिस्तान भेजने पर वहां इनकी कुल संख्या 15 हजार हो जाएगी। अभी अफगानिस्तान को तालिबान आतंकियों से मुक्त कराने के लिए 14 हजार अमेरिकी सैनिक तैनात हैं।
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अमेरिकी अधिकारी ने बताया इस योजना के बाद अफगानिस्तान में अमेरिका का निवेश और बढ़ेगा। इसके साथ ही इस योजना के तहत अमेरिका का मकसद अफगानिस्तान के 80 फीसदी इलाकों पर अफगान पुलिस और सेना का नियंत्रण स्थापित करना होगा।
1000 और सैनिकों को अफगानिस्तान भेजने के इस प्रस्ताव पर अभी अमेरिकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने हस्ताक्षर नहीं किए है। सैनिक बढ़ाना अमेरिका के अफगान फोर्सेज को मजबूत करने के लक्ष्य का हिस्सा है।
अमेरिका में ट्रंप से पहले ओबामा सरकार ने अफगानिस्तान से सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया शुरू की थी और वहां सिर्फ 8500 सैनिक बचे थे। लेकिन ट्रंप शासन के एक साल के भीतर अफगानिस्तान में सैनिकों की संख्या बढ़कर 14 हजार हो चुकी है जिसकी कई बार आलोचना भी होती है।
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Source : News Nation Bureau