भारत-इंडोनेशिया के संबंधों की 70वीं वर्षगांठ पर जर्काता में जारी हुआ रामायण केंद्रित डाक टिकट

भारत के साथ अपने कूटनीतिक रिश्तों की 70वीं वर्षगांठ पर इंडोनेशिया सरकार ने रामायण केंद्रित स्मारक डाक टिकट जारी किए हैं

भारत के साथ अपने कूटनीतिक रिश्तों की 70वीं वर्षगांठ पर इंडोनेशिया सरकार ने रामायण केंद्रित स्मारक डाक टिकट जारी किए हैं

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Nihar Saxena
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भारत-इंडोनेशिया के संबंधों की 70वीं वर्षगांठ पर जर्काता में जारी हुआ रामायण केंद्रित डाक टिकट

इंडोनेशिया में जारी हुआ रामायण पर डाक टिकट

भारत के साथ अपने कूटनीतिक रिश्तों की 70वीं वर्षगांठ पर इंडोनेशिया सरकार ने रामायण केंद्रित स्मारक डाक टिकट जारी किए हैं. इन डाक टिकटों की डिजाइन इंडोनेशिया के शिल्पकार और पद्मश्री बापक न्योमान न्यूआर्ता ने तैयार की है. इस डाक टिकट में सीता के बचाव के लिए जटायू के संघर्ष को दर्शाया गया है.

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इन खास डाक टिकटों को जर्काता के फिलेटली संग्रहालय में प्रदर्शन के लिए रखा गया है. इस खास मौके पर भारत के राजदूत प्रदीप कुमार रावत और इंडोनेशिया के उप विदेश मंत्री अब्दुर्रहमान मोहम्मद फकिर भी उपस्थित थे.

गौरतलब है कि भारतीय रामायण जहां वाल्मीकि ने लिखी थी, वहीं इंडोनेशिया की रामायण वास्तव में श्रीलंकाई संस्करण की देन है, जिसे ऋषि कंबन ने लिखा था. इसे स्थानीय भाषा में रामावतारम कहते हैं. भारतीय और इंडोनेशियाई रामायण के बाल कांड और अय़ोध्या कांड एक समान हैं.

हालांकि सीताजी को लेकर दोनों में काफी अंतर है. भारतीय रामायण में जहां सीताजी को सौम्य, शांत और खूबसूरती की प्रतिमूर्ति बतौर दर्शाया गया है, वहीं इंडोनेशियाई रामायण की सीता शक्तिशाली और निर्भीक है. रामावतारम की सीता काफी कुछ महाभारत की द्रोपदी की तरह हैं, जो रावण द्वारा बलात अपहरण के बाद लंका में अपनी स्वतंत्रता के लिए खुद असुरों से युद्ध करती हैं.

Source : News Nation Bureau

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