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यूक्रेन से निकले एक हजार भारतीय MBBS छात्रों को इस देश ने की मदद, फिर से शुरू की पढ़ाई 

समरकंद स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी ने यूक्रेन से लौटे एक हजार से ज्यादा भारतीय मेडिकल छात्रों को अपना लिया है.

Updated on: 15 Nov 2023, 07:15 PM

नई दिल्ली:

युद्ध प्रभावित यूक्रेन की वजह से पूरी दुनिया को नुकसान हुआ है. सबसे ज्यादा नुकसान यहां पर पढ़ाई कर रहे छात्रों का हुआ. 2021 में जब युद्ध शुरू हो तो सैकड़ों भारतीय एमबीबीएस छात्रों को अपनी पढ़ाई से हाथ धोना पड़ा. उनकी पढ़ाई अधूरी रह गई. वे अपनी आगे की पढ़ाई को जारी नहीं कर पा रहे थे. इस बीच उज्बेकिस्तान ने मदद का हाथ बढ़ाया. उसने भारतीय छात्रों के लिए नया शैक्षणिक जीवन आरंभ किया. उज्बेकिस्तान में समरकंद स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी ने यूक्रेन से लौटे एक हजार से ज्यादा भारतीय मेडिकल छात्रों को अपना लिया है. यूक्रेन में भारतीय दूतावास द्वारा  यह पूछे जाने कि क्या प्रभावित छात्र स्थानांतरित किए जा सकते हैं. 

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यूक्रेन से लौटे छात्रों के अनुसार ‘ऑपरेशन गंगा’ की पहल से भारत सरकार द्वारा निकाले गए छात्रों के सामने आगे की पढ़ाई का संकट था. ‘ऑपरेशन गंगा’ यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वापस लाने का एक अभियान था. इस पहल से कुल 18,282 भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया. 

एमबीबीएस के तीन वर्ष पूरे कर लिए. फिर पढ़ाई को शुरू नहीं किया जा सकता था

छात्रों का कहना है ​कि पढ़ाई के लिए एकमात्र विकल्प उज्बेकिस्तान आना ही रह गया. कई के अंदर यह अनिश्चिता फैल गई ​कि आगे किस तरह अपनी पढ़ाई जारी रखी जाए. भारत लौटने के बाद सभी के मन में यह ​था कि अपनी आगे की पढ़ाई को कहां से पूरा किया जाए. एक छात्र का कहना था कि उन्होंने एमबीबीएस के तीन वर्ष पूरे कर लिए. फिर पढ़ाई को शुरू नहीं किया जा सकता था. बाद में उज्बेकिस्तान आने का निर्णय लिया. हालांकि समरकंद में रहने का खर्च यूक्रेन से काफी ज्यादा था मगर वह अपनी शिक्षा जारी रखने में सक्षम होने से खुश हैं.

पंजाब के छात्रा आरूषी का कहना है कि वे यूक्रेन बुकोविनियन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी की छात्रा थीं. एक समेस्टर के नुकसान की वजह से विश्वविद्यालय से जुड़ने से आशंकित थीं. उन्होंने कहा, आठ महीने तक ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लिया. हमें यह उम्मीद थी कि युद्ध ख़त्म होगा और  हम वापस जाएंगे. कुछ छात्र अलग-अलग रास्तों से वापस भी गए. मगर वह कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थी. ऐसे में उन्होंने उज़्बेकिस्तान आने का निर्णय लिया.