दुनिया में कई लोग ऐसे मिल जाएंगे, जिनकी आखिरी ख्वाहिश एकदम अलग होती है. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अंतिम ख्वाहिश थी कि मरने के बाद गंगा नदी में उनकी अस्थियों की राख छिड़क दी जाए. हालांकि, बाद में ऐसा किया भी गया था. उनका कहना था कि इसके पीछे कोई धार्मिक या वैज्ञानिक वजह नहीं है, बल्कि वह इलाहाबाद में रहते हुए गंगा-यमुना से इस कदर जुड़ गए थे कि वो इस जुड़ाव को मरने के बाद भी कायम रखना चाहते थे.
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इसी तरह का एक ऐसा मामला दक्षिण अफ्रीका में सामने आया है. दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में एक परंपरावादी नेता की अंतिम ख्वाहिश एक दम जुदा थी. जब उनका निधन हुआ तो उसे किसी ताबूत में नहीं बल्कि उनकी पसंदीदा गाड़ी यानी कार के साथ दफनाया गया. इससे भी दिलचस्प बात यह है कि उन्हें कार में लिटाकर नहीं, बल्कि ड्राइविंग सीट पर बैठाकर दफनाया गया था. इस दौरान उनके दोनों हाथ स्टेयरिंग पर थे.
आपको बता दें कि यूनाइटेड डेमोक्रेटिक मूवमेंट के नेता शेकेडे पित्सो के बारे में कहा जाता है कि उनका अधिकांश वक्त उनकी पसंदीदा कार में बीता था और वह चाहते थे कि उनकी कार के साथ ही उन्हें दफन किया जाए. शेकेडे पित्सो के परिजनों ने उनकी अंतिम इच्छा पूरी करने का निर्णय किया और उन्हें दो साल पहले खरीदी मर्सेडीज बेंज के साथ दफन कर दिया गया.
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शेकेडे की बेटी सेफोरा का कहना है कि कभी उनके पिता अमीर व्यापारी थे और उनके पास कई मर्सेडीज कारें भी थीं, लेकिन व्यवसाय में को घाटा होने की वजह से सारी कारें बिक गई थीं. उन्होंने दो साल पहले ही सेकंड हैंडल मर्सेडीज बेंज खरीदी थीं. वहीं, दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस के फैलते खतरे को देखते हुए लॉकडाउन है, लेकिन इसे तोड़ते हुए उनके अंतिम संस्कार के दौरान काफी संख्या में भीड़ जुटी. इस अनोखे अंतिम संस्कार से वह पूरे दक्षिण अफ्रीका में चर्चा का विषय तो बने हुए हैं.