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इन महिला judges ने तालिबान को बनाया उल्लू, जानें कैसे दिया तालिबान को चकमा

तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में आमजन ही नहीं, बल्कि न्यायिक अधिकारी भी तालिबानियों की बर्रबरता से त्रस्त है. लेकिन कुछ महिला judges ने तालिबानियों की आंखों में धूल झोंकने की नई तरकीब निकाली.

Updated on: 28 Oct 2021, 12:58 PM

highlights

  • अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद खुफिया स्थान पर छिप गई थी 200 महिला जज 
  • 26 महिला जज तालिबान के चंगुल से फरार होने में हुई सफल
  •  महिला जजों के वीजे पर बदले गए उनके नाम बनें चर्चा का विषय 

नई दिल्ली :

तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में आमजन ही नहीं, बल्कि न्यायिक अधिकारी भी तालिबानियों की बर्रबरता से त्रस्त है. लेकिन कुछ महिला judges ने तालिबानियों की आंखों में धूल झोंकने की नई तरकीब निकाली. यही नहीं 26 महिला जज तालिबानियों को उल्लू बनाने में सफल भी हो गई. ये 26 जज वीजे पर नाम बदलवाकर अफगानिस्तान से फरार होने में सफल हो गई. आपको बता दें कि अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के बाद 200 महिला judges को बंदी बना लिया गया था. चरमपंथियों ने देश की जेलों को खोल दिया था और इसमें क़ैद सज़ायाफ़्ता वो लोग भी आज़ाद हो गए थे जिन्हें कभी महिला जजों ने सज़ाएं दी थीं.

दरअसल, जिन 200 महिला judges को तालिबानियों द्वारा रोका गया था. उनमें से कुछ ने वहां से फरार होने की तरकीब निकाली. स्थानिया मीडिया के मुताबिक ये महिलाएं अभी ग्रीस में अस्थाई वीजे पर रह रही हैं. साथ ही उन्होने अपनी सुरक्षा के लिए अपने नाम भी बदल लिए हैं. वहां भागने में सफल महिला जज सना बताती हैं की आधी रात को फ़ोन बजा. पिक-अप की लोकेशन की पुष्टि हो गई थी. काली चादर में लिपटी जज सना सड़क पर आईं उनके साथ उनके दो बच्चे भी थे. दोनों के पास एक-एक बैग था जिसमें दो जोड़ी कपड़े, पासपोर्ट, फ़ोन, नक़दी और यात्रा के लिए जितना हो सके उतना खाना था.

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सना उस दिन को याद करते हुए कहती हैं, "जब हम निकले तो हमें मालूम नहीं था कि हम कहां जा रहे हैं.""हमसे कहा गया था कि रास्ते में सुरक्षा का ख़तरा होगा, लेकिन हमने इसे स्वीकार किया क्योंकि हम जानते थे कि सिर्फ़ यही बाहर निकलने का एक रास्ता है." एक कार में जब वो और उनके बच्चे सवार हुए तो सना ने पलटकर उस शहर को देखा जहां पर वो पैदा हुई थीं, पली-बढ़ी थीं और अपने परिवार की शुरुआत की थी. लेकिन अब वो कैसे ज़िंदा रहेंगी यह उस समय एक अनजान शख़्स के हाथ में था जो उन्हें बाहर निकाल रहा था. उनको कोई आइडिया नहीं था कि वो कहां जा रही हैं, लेकिन वो जानती थीं कि वो कम से कम यहां नहीं रुक सकती हैं.


मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एथेंस पहुंचने के बाद सभी 26 जजों और उनके परिवार के सदस्यों को शहर के अपार्टमेंट में छोड़ने से पहले कोविड-19 का टेस्ट किया गया. अस्थाई वीज़ा योजना के तहत ग्रीस प्रशासन ने जजों को 14 दिनों के लिए खाना और घर देने का वादा किया है. दो सप्ताह बाद क्या होगा यह किसी को नहीं पता है. जजों को सलाह दी गई है कि वो किसी तीसरे देश में शरण के लिए आवेदन करें. आसमां उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने ब्रिटेन में शरण के लिए आवेदन किया है. अफ़ग़ानिस्तान में जज के तौर पर 25 साल के अनुभव के बाद यह उनके साथ पहली बार नहीं है जब वो तालिबान के डर से भागी हैं.